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एलसीए तेजस मार्क 1A की पहली उड़ान सफल

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नई दिल्ली/बेंगलुरु. एलसीए तेजस मार्क 1A की पहली सफल उड़ान बेंगलुरु के एचएएल फैसिलिटी में पूरी हुई. यह फाइटर एयरक्रॉफ्ट अपनी पहली उड़ान के दौरान 18 मिनट तक हवा में रहा. तेजस मार्क 1A आधुनिक और 4+ जेनेरेशन का फाइटर एयरक्रॉफ्ट है. इसमें हवा में फ्यूल भरा जा सकता है, जिससे इसकी क्षमता और बढ़ जाती है. साथ ही यह फाइटर जेट एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड ऐरे रडार, बीवीआर यानी बियॉन्ड विजुवल रेंज मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट से लैस है. भारतीय वायुसेना ने 83 एलसीए मार्क 1A तेजस के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ करार किया है. जबकि अतिरिक्त 97 तेजस मार्क 1A फाइटर की खरीद को रक्षा खरीद परिषद पहले ही मंजूरी दे चुकी है.

इससे पहले 40 तेजस भारतीय वायुसेना के लिए लेने का करार हो चुका है और जिसके दो स्क्वाड्रन अब तक स्थापित किए जा चुके हैं. भारतीय सेना के लिए एलसीए तेजस का एडवांस्ड वर्जन मार्क-1 ए विमान तैयार किया गया है. एयर फोर्स को मिलने वाले इस फाइटर जेट को 2205 किमी. प्रति घंटे की स्पीड से हवा में उड़ाया जा सकता है. यही नहीं, एयर फोर्स का यह फाइटर जेट 6 तरह की मिसाइलों को ले जाने में भी सक्षम है. भारतीय वायुसेना ने 123 तेजस फाइटर जेट मांगे थे, जिसमें से 31 मिल चुके हैं. इसके अलावा बीते दिनों भारतीय वायु सेना को अपना पहला 2 सीटर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस ट्विन सीटर’ मिला है.

एचएएल ने वायुसेना को पहला तेजस ट्विन सीटर ट्रेनर विमान कुछ समय पहले सौंपा हैं. तेजस ट्विन सीटर ट्रेनर विमान एक हल्का विमान है. इसकी एक विशेषता यह भी है कि यह विमान किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को कुल 18 ट्विन सीटर विमान का ऑर्डर दिया गया था. भारतीय वायुसेना द्वारा दिए आर्डर में से 8 विमान अगले साल तक दे दिए जाएंगे.

शेष 10 विमानों को 2026-27 तक इंडियन एयर फोर्स के सुपुर्द किया जाएगा.

तेजस-मार्क 2 के इंजन अमेरिकी कंपनी बनाएगी

रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में अमेरिकी कंपनी जीई के इंजन बनेंगे. ये इंजन भारत के अगले हल्के लड़ाकू विमान तेजस-मार्क 2 के इंजन होंगे. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने बताया कि अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) मिलकर भारत में इंजन बनाएगी. हल्के लड़ाकू विमान तेजस-मार्क 2 के लिए सबसे पहले इंजन बनाने का काम होगा. एक साल में इस फाइटर जेट का प्रोटोटाइप तैयार होगा. वहीं चार साल बाद इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा सकता है.

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