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मंदिर जीर्णोद्धार का कट्टरपंथियों द्वारा विरोध, पुराने शिव मंदिर पर सलैब डालने से रोका

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उन्नाव के रानीपुर गाँव में स्थित एक 70 वर्ष पुराने शिव मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य कट्टरपंथियों के विरोध के कारण रुक गया. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से भी मामले को लटकाने का प्रयास किया जा रहा है. बीघापुर कोतवाली की निबई चौकी के अंतर्गत आता है, मंदिर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद स्थित है. स्थानीय निहाल, अनीस खान, असगर खान, शोएब, सलीम, यूनुस, और रईस आदि का कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार होगा, फिर वहां पूजा, आरती होगी, घंटे बजेंगे, इससे मस्जिद में नमाज़ अदा करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है. जिससे सामाजिक सौहार्द और शांति प्रभावित हो सकती है.

रानीपुर गाँव में लगभग 130 घर मुस्लिम व केवल 30 घर हिन्दू परिवारों के हैं. मंदिर 70 वर्ष से भी अधिक पुराना है. मंदिर के चबूतरे पर हिन्दू परिवार अपने धार्मिक कार्य जैसे मुंडन, छेदन और शादी-विवाह संपन्न करते हैं. मंदिर के चबूतरे पर चारों ओर दीवारें और खंभे खड़े हैं, लेकिन छत डालने का कार्य अभी लंबित है. मंदिर निर्माण को लेकर विवाद होने पर पुलिस ने तात्कालिक रूप से 26 मुस्लिमों और 6 हिन्दुओं को पाबंद किया है, ताकि मामला शांत हो जाए. लेकिन मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

विवाद 7-8 अक्तूबर – को पुलिस चौकी से बीघापुर पुलिस स्टेशन तक पहुंच गया और अधिकारियों ने स्थिति को शांत करने के लिए तुरंत 26 मुसलमानों और 6 हिन्दुओं को क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को खतरे में डालने वाली किसी भी गतिविधि के विरुद्ध आधिकारिक चेतावनी जारी की.

दैनिक जागरण में 21 अक्तूबर को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस स्टेशन के सीओ ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि धार्मिक स्थल बनाने से पहले प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है. हिन्दुओं से अनुमति लेने को कहा गया है, उसके बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है. मामले की रिपोर्ट उप जिलाधिकारी को भेज दी गई है.

स्थानीय निवासियों के अनुसार, यहाँ मुस्लिम जनसंख्या 90 प्रतिशत है. गांव में कट्टरपंथियों का दबदबा है. पुलिस मंदिर के जीर्णोद्धार को प्रशासनिक अनुमति के पेंच में फँसाकर लटकाने का प्रयास कर रही है.

गाँव में तनाव का वातावरण है, जिसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गाँव में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया है.

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि वह दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर बातचीत करके मामले को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि धार्मिक आस्था और परंपराओं का सम्मान बना रहे और गाँव में शांति बनी रहे.

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