लखनऊ. हाथरस मामले में पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय ने पीएफआई के उत्तरप्रदेश में सक्रिय रहे सदस्यों और कुछ अन्य संगठनों से जुड़े लोगों की जानकारी जुटाई है. अब उनकी गतिविधियों के साथ ही बैंक खातों की छानबीन भी शुरू की है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि पीएफआई से संबंधित बैंक खातों में मॉरिशस से 50 करोड़ रुपये आए थे, जबकि पूरी फंडिंग 100 करोड़ रुपये से अधिक रुपये की थी. जांच में संदिग्धों से जुड़ी अन्य जानकारियां भी जुटाई जा रही है.
हाथरस घटना की आड़ लेकर उत्तरप्रदेश को जातीय संघर्ष की आग में झोंकने के लिए विदेश से फंडिंग हुई थी. मामले की जांच में जुटी एजेंसियों के निशाने पर पीएफआई सहित कुछ अन्य संगठनों के पदाधिकारी हैं. ईडी ने मथुरा में गिरफ्तार कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया संगठन के चार सदस्यों के विरुद्ध दर्ज एफआइआर का ब्योरा भी जुटाया है. साथ ही माहौल बिगाड़ने की साजिश के केंद्र में रही वेबसाइट के बारे में तकनीकी ब्योरा जुटाने के लिए कंपनियों से संपर्क साधा है. ईडी दिल्ली मुख्यालय की टीम पहले ही सीएए के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीछे फंडिंग को लेकर पीएफआई की भूमिका की जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार वेबसाइट के माध्यम से माहौल बिगाड़ने की साजिश व इसके लिए विदेश से फंडिंग के मामले में ईडी जल्द ही मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज करने वाली है.
हाथरस में देशद्रोह, कोविड-19 की गाइडलाइन व धारा-144 का उल्लंघन सहित विभिन्न धाराओं में दर्ज मुकदमों में आरोपियों को चिह्नित करने की कसरत भी चल रही है. मथुरा में सोमवार को यमुना एक्सप्रेस-वे मांट टोल पर पकड़े गए कैम्पस आफ फ्रंट इंडिया के चारों संदिग्ध के खिलाफ राजद्रोह और समाज में वैमनस्यता फैलाने की धारा बढ़ाई गई है.
सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने संदेह के दायरे में आए कई लोगों से लंबी पूछताछ की है. हाथरस में तेजी से बदलते घटनाक्रमों के बीच पुलिस ने अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ाया है. माहौल बिगाड़ने की साजिश को लेकर 19 मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं. वीडियो व फोटो के माध्यम से आरोपियों का पहचान कर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार हाथरस घटना को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाई गई, जिसे आधार बनाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई और जातीय हिंसा भड़काने का प्रयास किया गया.