गोरखपुर. गंगा समग्र का राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम रविवार को सम्पन्न हो गया. देशभर से आए कार्यकर्ताओं जल तीर्थों की अविरलता और निर्मलता पर तीन दिन तक मंथन के बाद नए कार्यक्रम तय किये. मंथन के दौरान सहमति बनी कि मल-जल के उचित उपचार के बिना गंगा और अन्य जल तीर्थों को निर्मल नहीं किया जा सकता. समापन पर एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से इस दिशा में वृहद कार्य योजना बनाने और उसे लागू कराने की मांग की गई.
सुभाष नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम के समापन समारोह में संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा कि कलियुग में सिर्फ गंगा मैया ही मोक्षदायिनी है. सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग में मोक्ष के लिए अलग-अलग विधान तय किए गए हैं. कलियुग में गंगा को मोक्षदा कहा गया है. इससे भी गंगा की महत्ता को समझा जा सकता है. इसका जल प्रदूषित कर दिया गया तो जीवन समाप्त हो जाएगा. नदी या जलाशय ही नहीं, अब भू-जल भी काफी नीचे चला गया है. इसलिए नदियों के साथ-साथ तालाबों को भी स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए परिश्रम की आवश्यकता है. गंगा स्वार्थ और परमार्थ दोनों से जुड़ी है. इसलिए उसको स्वस्थ रखने के लिए भगीरथ जैसे तप की जरूरत है. गंगा से जुड़ा स्वार्थ यह है कि जल है तो जीवन है और परमार्थ मतलब माता की सेवा. इसके लिए सिर्फ जल ही नहीं, सघन वनीकरण भी जरूरी है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को संगठन में अनुशासन के महत्व को समझाया तो इसकी व्यापकता के बारे में भी बताया. संगठन की व्यापकता तभी हो सकती है, जब वह सर्वस्पर्शी होगा. य़ह सब करने के लिए जीवंत संपर्क आवश्यक है. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को संकल्पित होना चाहिए, विकल्पित नहीं.
गोरक्ष के प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने सत्य, करुणा, शुचिता व संयम की महत्ता बताते हुए संकल्प से सिद्धी तक पहुंचने का मार्ग बताया.
राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम ने कहा कि ब्रह्मा का प्रवाह हमें गंगा माता के रूप में मिला है. गंगा माता हमें अश्रुपूरित नेत्रों से देख रही है. अपने पुत्रों से कह रही है कि हम नहीं बचे तो कोई नहीं बच पाएगा. गंगा रक्षण का दायित्व हमें ईश्वर ने सौंपा है. इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी. कार्यक्रम में 2025 के कुम्भ में महासंगम आयोजित करने की रूपरेखा बनाई गई.
समापन पर प्रस्ताव पारित कर सरकार से अपेक्षा की गई कि सतत विकास लक्ष्य-6 हासिल करने और आगामी पीढ़ी के लिए एक सुरक्षित पर्यावास का निर्माण करने के लिए पानी के दोहन और खर्च को नियंत्रित किया जाए. इसके साथ ही सीवेज का शोधन वहीं किया जाए, जहाँ वह पैदा हो रहा है. सीवेज में उपलब्ध रासायनिक तत्वों का निष्कर्षण करने और बायोमास से ऊर्जा उत्पादन करने के लिए राष्ट्रीय रोडमैप तैयार कर काम करना चाहिए. सीवेज में मौजूद सूक्ष्म जीवों के पुनर्चक्रण के जरिए सदुपयोग की स्पष्ट नीति बनाकर उसे अमल में लाया जाए. ताकि खेती में रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता को कम किया जा सके.
गोरक्ष प्रांत संयोजक राजकिशोर जी ने सभी का आभार जताया. कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री ललित कपूर ने किया.