नई दिल्ली. गाजियाबाद में मौलवी अब्दुल समद के साथ मारपीट के मामले को लेकर बिना तथ्यों को जाने झूठा प्रोपेगंडा करने, घटना को सांप्रदायिक रंग देने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. वहीं पुलिस एक्शन के पश्चात आरोपियों की ओर से ट्वीट डिलीट किए जा रहे हैं, अपना पक्ष रख रहे हैं. पुलिस की तत्परता के कारण फेक प्रोपेगंडा के लिए प्रसिद्ध सेकुलर ब्रिगेड के प्रयास विफल हो गए. पुलिस ने राणा अयूब, मोहम्मद ज़ुबैर (ऑल्ट न्यूज़), द वायर, सबा नकवी, सलमान निजामी, डॉ. शमा मोहम्मद व ट्विटर सहित कुल नौ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. ट्विटर से आईटी एक्ट के तहत प्राप्त कानूनी सुरक्षा कवच छीने के पश्चात एफआईआर दर्ज हुई है.
गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन में पुलिसकर्मी की शिकायत पर मंगलवार रात प्राथमिकी दर्ज की गई. शिकायत में कहा गया कि बिना तथ्यों को जांचे वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर अशांति भड़काने के इरादे से साझा किया गया था. सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो क्लिप में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया कि कुछ युवकों ने उसकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा. जांच के बाद गाजियाबाद पुलिस ने मामले में कोई सांप्रदायिक पहलू होने से इनकार किया और कहा कि आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे जो सैफी ने उन्हें बेचा था.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने बताया कि गिरफ्तार युवकों की पहचान कल्लू और आदिल के रूप में हुई है. उनके अलावा पोली, आरिफ, मुशाहिद और परवेश गुर्जर भी इस घटना में शामिल थे.
प्राथमिकी में कहा गया है कि, ‘‘इन लोगों ने मामले की सच्चाई की पुष्टि नहीं की और सार्वजनिक शांति को बाधित करने एवं धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के इरादे से सांप्रदायिक रंग देकर ऑनलाइन साझा किया.” ‘‘इसके अलावा, ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया ने भी इन ट्वीट को हटाने के लिए कोई उपाय नहीं किया.”
प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153ए (धर्म, वर्ग आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करना), 120बी (आपराधिक साजिश) और अन्य के तहत मामला दर्ज किया गया है.