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गोत्र, वंश परम्परा की अविच्छिन्न धारा है संतति – डॉ. हितेश जानी

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जयपुर, 01 सितम्बर.

गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर के पूर्व प्राचार्य डॉ. हितेश जानी ने कहा कि हमारी प्राचीन आयुर्वेद पद्धति से ही उत्तम संतति प्राप्त की जा सकती है. गोत्र, वंश परम्परा की अविच्छिन्न धारा संतति है. आयुर्वेद में गर्भ संस्कार में गर्भणी परिचर्या के चार बिन्दुओं आहार-विहार और सुरक्षा के मायने हैं. उन्होंने कहा कि गर्भवती माता का भोजन, वस्त्रों का चयन, क्या सुनना, योगासन, व्यायाम और औपचारिक अवसरों पर सुनिश्चित नियमों और प्रक्रियाओं की व्यवस्था से मनचाही संतान प्राप्त करना संभव है. शिवाजी की माता जीजाबाई, भगवान कृष्ण की माता देवकी, भक्त प्रहलाद की माता देवी कयाधु और अभिमन्यु की माता सुभद्रा इसके उदाहरण हैं, जिन्होंने मनचाही संतानों को जन्म दिया.

डॉ. हितेश जानी रविवार को भारतीय अभ्युत्थान समिति के तत्वाधान में जयपुर के सवाई मानसिंह चिकित्सा महाविद्यालय में एक दिवसीय गर्भाधान संस्कार कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने की.

डॉ. हितेश जानी ने कहा कि गर्भ संस्कार और गर्भ विज्ञान का गहरा संबंध है. उत्तम संतति की व्यवस्था विवाह से पहले शुरू हो जाती है. इसमें सगौत्र विवाह नहीं होना चाहिए. जेनेटिक रोगों से मुक्त संतान चाहिए तो सगौत्र विवाह वर्जित है. तक्षशिला विश्वविद्यालय के आयुर्वेदाचार्य जीवक के कार्य का स्मरण कराते हुए कहा कि भारत आज से हजारों वर्ष पूर्व टेस्टट्यूब बेबी, सेरोगेट मदर जैसे विज्ञान में पारंगत था. जेनैटिक साइंस आयुर्वेद में है. जेनैटिक इंजीनियरिंग भी आयुर्वेद में है.

उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु बनेगा, हम हमारे ज्ञान से विश्व गुरु बनेंगे. दुनिया की समस्या को समझना पड़ेगा, उसका हल भी हमें देना होगा. उन्होंने कहा लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर विश्व की सबसे बड़ी समस्या है. वह भारत की भी है, हमें हमारी जीवन शैली में बहुत बड़ा परिर्वतन करना होगा.

उन्होंने कहा हमारी विरासत हमें पता ही नहीं है. हमारे शास्त्रों में क्या है? आयुर्वेद यानि पुडी वाला शास्त्र नहीं है, आयुर्वेद वेद है, ज्ञान का स्रोत है. उस ज्ञान के स्रोत से जो हमारी जीवनचर्या थी, उसे हम लगभग भूल चुके हैं, या उसके विरूद्ध जा रहे हैं. भारत विश्वगुरू तब ही बनेगा, जब हम अपने ज्ञान और विरासत को सहेज कर नई पीढ़ी को अवगत कराएंगे.

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