नई दिल्ली. सरकार ने आईटी एक्ट के तहत ट्विटर को प्राप्त कानूनी सुरक्षा को वापिस ले लिया है. सरकार के निर्णय के बाद अब ट्विटर मध्यस्थ मंच नहीं रहा और अब माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर अगर कोई उपयोगकर्ता भड़काऊ व आपत्तिजनक सामग्री डालता है तो उसके लिए ट्विटर सीधे तौर पर जिम्मेदार होगा तथा कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सकेगी. इसके बाद ही गाजियाबाद प्रकरण में ट्विटर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है.
सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 79 के तहत उसे प्रदत्त सुरक्षा का अधिकार छीने जाने का मतलब है कि अब ट्विटर पर किसी ने भी भड़काऊ और आपत्तिजनक ट्वीट किया तो उसके लिए सीधे ट्विटर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. कानूनी सुरक्षा कवच छिन जाने के बाद ट्विटर ने कहा कि वह सरकार के नए आईटी नियमों का पालन करने का हर संभव प्रयास करेगा. सोशल मीडिया कंपनियों के बीच केवल ट्विटर ने ही नए आईटी नियमों का पालन नहीं किया.
ट्विटर लंबे समय से नए आईटी नियमों का पालन करने में आनाकानी कर रहा था, जिसके बाद सरकार ने कार्रवाई की है. ट्विटर को विभिन्न उपयोगकर्ताओं से सामग्री की मेजबानी करने वाला मंच मानने की बजाय, इसे मंच पर प्रकाशित पोस्ट के लिए संपादकीय तौर पर सीधे जिम्मेदार ठहराया जाएगा. अगर किसी उपयोगकर्ता ने कोई गैर-कानूनी या आपत्तिजनक ट्वीट किया तो इसके लिए भारत में कंपनी के प्रबंध निदेशक सहित सभी शीर्ष अधिकारी जिम्मेदार होंगे.
ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि वे प्रक्रिया के हर चरण में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का मूल्यांकन कर रहे हैं और अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी को बरकरार रखा गया है. मंत्रालय से जल्द ही इसका विवरण साझा किया जाएगा. हम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को प्रक्रिया के हर चरण में प्रगति से अवगत करा रहे हैं. ट्विटर नए दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास करना जारी रखेगा.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 5 जून को ट्विटर को अंतिम नोटिस दिया था और उसे तत्काल प्रभाव से नियमों का पालन करने को कहा था. साथ ही, चेतावनी दी थी कि यदि कंपनी इसमें विफल रही तो आईटी कानून के तहत उसे मध्यस्थ मंच के तौर पर दायित्वों से जो छूट मिली है, उसे वापस ले लिया जाएगा.