काशी (विसंकें). भाग्य, या किस्मत का खेल..! इंजीनियरिंग करने वाले पर्यावरण अविषेक पर्यावरण विषय में असफल हुए और आज उसी के आधार पर ग्रीनशाला कार्यक्रम चलाकर 100 युवाओं को रोजगार प्रदान किया है. इतना ही नहीं, ‘गार्डन ऑन कंक्रीट’ नाम से अपनी स्टार्ट-अप कंपनी बनाई और कंक्रीट के जंगल में बगीचे की कल्पना को साकार कर रहे हैं.
दैनिक जागरण के अनुसार अविषेक ने बनारस के चार घरों में माली का काम कर अपने सफर की शुरुआत की थी और आज वह आईआईटी – बीएचयू के मालवीय नवप्रवर्तन केंद्र से चयनित एक सफल युवा उद्यमी बन चुका है. स्टार्ट-अप के डायरेक्टर अविषेक और असिस्टेंट डायरेक्टर रूपसी सोनकर प्रदूषण को कम करने के लिए मानव अपशिष्ट के अधिकतम उपयोग की धारणा को काशी की जमीन पर सफल रूप से उतार रहे हैं. ‘प्रकृति की संस्कृति से जुड़ें’ दर्शन के साथ शुरू इस स्टार्ट-अप ने विभिन्न स्थानों पर एक लाख से अधिक पौधे लगाए हैं और उनकी देखभाल भी करते हैं. अब तक बनारस में 80 से अधिक घरों को ग्रीन हाउस (इको फ्रेंडली हाउस) में तब्दील कर दिया है.
ग्रीनशाला के अंतर्गत बीएचयू में ही बागवानी कार्यक्रम चलाते हैं, जहां गरीब और जरूरतमंद लोगों को प्रशिक्षण देते हैं और फिर उन्हें उसी व्यवसाय में शिक्षक, मार्गदर्शक या माली के रूप में नियुक्त करते हैं. रूपसी ने बताया कि अब तक 100 से ज्यादा नौजवान प्रशिक्षित होकर बागवानी का काम कर रहे हैं. प्रशिक्षण के लिए मनीषा, प्रियंका, प्रीती और हनीप्रिया को नियुक्त किया है जो सनबीम ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस में हमारे लिए बागवानी की कक्षाएं लेते हैं.
कचरे को सुंदर बनाकर उसमें लगाते हैं पौधे
रूपसी ने बताया कि बागवानी और अपशिष्ट प्रबंधन (गार्डनिंग एंड वेस्ट मैनेजमेंट) पर काम करते हुए घर में पड़े कचरे को पेंटिंग से आकर्षक बनाकर उसमें पौधे लगाते हैं. इसके लिए सनबीम ग्रामीण स्कूल करसड़ा में वर्कशॉप आयोजित की जाती है. लोगों का स्वास्थ्य बेहतर और खुशहाल हो इसके लिए 15 से ज्यादा घरों की छत पर बागबानी (रूफटॉप गार्डनिंग) की जाती है. रूपसी ने बताया कि दिल से हरियाली अभियान के तहत लोगों के जन्मदिन या सालगिरह के अवसर पर उनसे एक पौधा लगवाया जाता है, ताकि उनका यह दिन खास और यादगार बन सके.
अविषेक ने बताया कि वाराणसी में संस्था की तरफ से लोगों को जागरूक करने के लिए अपार्टमेंट्स, सोसाइटी और स्कूलों में कई वर्कशॉप आयोजित कर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
असफल होना बना टर्निग पॉइंट
मूलरूप से जमुई बिहार के रहने वाले अविषेक बहुत ही सामान्य परिवार से हैं. कर्नाटक से इंजीनियरिंग के दौरान अंतिम वर्ष पर्यावरण विषय में उनका असफल होना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया. माली के रूप में काम करने के दौरान इंजीनियरिंग की पढ़ाई काम आई और स्टार्ट-अप शुरू कर हरियाली की अवधारणा पर काम करने को प्रेरित किया. अविषेक से प्रभावित वाराणसी की रूपसी लखनऊ से एमकॉम के बाद उनसे जुड़कर काम करने लगीं.
अविषेक और उनकी टीम ने हमारे घर के अंदर और बाहर पौधों से हरियाली भर दी है. घर के सामने ही छोटा सा गार्डन बनाया है, जहां पूरे परिवार के साथ बैठने पर सुकून मिलता है. – डॉ. उमेश सिंह, ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय