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कार्यकर्ता निर्माण में अटूट स्नेह की पद्धति के श्रेष्ठ वाहक थे स्व. हस्तीमल जी

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उदयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि संगठन में कार्यकर्ता महत्वपूर्ण इकाई है. कार्यकर्ता निर्माण में कार्यकर्ता की देखभाल ज्यादा महत्वपूर्ण है. कार्यकर्ता के संकट के समय तो तुरंत संभालना अति आवश्यक है. यह बात दिवंगत ज्येष्ठ प्रचारक हस्तीमल हिरण हर समय कहा करते थे. वे कार्यकर्ता निर्माण के धनी थे, सूक्ष्म दृष्टिकर्ता थे, हर पक्ष को बारीकी से देखते थे. कार्यकर्ता के परिवार में सजीव सम्पर्क, सबसे बातचीत की सीख देते थे. वे कार्यकर्ता निर्माण की इस अटूट स्नेह की पद्धति के श्रेष्ठ वाहक थे.

सह सरकार्यवाह जी सोमवार सायं हिरण मगरी सेक्टर-4 स्थित विद्या निकेतन विद्यालय के वैद्य भागीरथ जोशी सभागार में दिवंगत ज्येष्ठ प्रचारक हस्तीमल हिरण की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जिसके जीवन से हजारों लोगों को अपने मन का मिल जाता है, हजारों लोगों को प्रेरणा मिलती है, हजारों लोगों को लगता है कि हमारी चिंता करते हैं, तब जीवन सार्थक हो जाता है. हजारों लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं, तब उसके कार्य का प्रतिफल दिखता है. ज्येष्ठ प्रचारक हस्तीमल लोगों के जीवन में प्रकाश देते हुए हमसे विदा हुए. आज पार्थिव शरीर तो नहीं है, पर उनका ध्येय हमारे समक्ष है. जो सामर्थ्य उनसे मिला है, वही लगाने की आवश्यकता है. यही उनका संदेश है और यही संदेश संघ के आद्य सरसंघचालक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार का भी है.

उल्लेखनीय है कि हस्तीमल हिरण जी का 77 वर्ष की आयु में मकर संक्रांति 14 जनवरी को निधन हो गया था. उन्होंने अपने 75वें जन्मदिवस पर नेत्र व देह दान का संकल्प किया था. सम्पूर्ण जीवन संघ के प्रचारक रहते हुए राष्ट्रसेवा में समर्पित करने के बाद उनकी देह भी शोधकार्यों के निमित्त उदयपुर के रवीन्द्र नाथ टैगोर आयुर्विज्ञान महाविद्यालय को सौंपी गई.

हजारों स्वयंसेवकों के मार्गदर्शक, पथ प्रदर्शक, प्रेरणा पाथेय की स्मृति में सोमवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्धन ने कहा कि हस्तीमल हिरण जी जीवन के अंतिम समय में भी प्रवास पर जाने के इच्छुक रहते थे और अपनी इस इच्छा को उन्होंने कई बार उनकी देखभाल करने वाले कार्यकर्ताओं से भी कहा.

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री गजेन्द्र सिंह ने कहा कि आपातकाल के समय उन्हें निकट से देखने का अवसर प्राप्त हुआ. उनके सिखाने का तरीका बोलकर नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष लोगों को दिखाकर था. कार्यकर्ता गढ़ने में बारीकी का विशेष ध्यान रखते थे. वे कार्यकर्ता की बारीकी से समग्र जानकारी रखना, कार्यकर्ता निर्माण की पद्धति का अंग बताते थे.

उनके परिवार के सदस्य पवन हिरण ने कहा कि प्रचारक परिवार विशेष का नहीं होता, पूरा देश उनका परिवार होता है. पूर्व महापौर रजनी डांगी ने कहा कि एक व्यक्ति जो हम सबको याद कर संभालने वाले थे, यादें देकर चले गए. हम सभी उनके जीवन से प्रेरणा लें, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश चंद्र ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि जीवन के 75 वर्ष पूरे होने पर सभी कार्यकर्ताओं से अनुभव सुनें, किन्तु कोरोना के कारण उनकी इच्छा अधूरी रह गई.

लघु उद्योग भारती के संगठन मंत्री प्रकाशचंद्र ने कहा कि मितव्ययता इतनी कि 10 वर्ष पुरानी शॉल का उपयोग करते थे. यदि बस में 1 रुपया लगे और 50 पैसे में ट्रक ले जा रही हो तो वे ट्रक में सवार हो जाते थे. एक बार ट्रक पलटने से उन्हें चोट भी आई थी, लेकिन वे विचलित नहीं हुए. पाथेय कण पाक्षिक को जागरण पत्रिका के रूप में स्थापित करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है. वे लोकसंग्रह वाले प्रचारक थे. वे संघ के प्रथम पंक्ति के प्रचारकों में थे, ऐसा हम कह सकते हैं. वे एक चलते-फिरते पुस्तक तीर्थ थे. संघ का मूल आधार प्रेम है, स्नेह है. कौन कितना बोल सकता है यह जरूरी नहीं, बल्कि कौन प्रेम से जोड़ सकता है यह मूल आधार है. यह उन्होंने प्रकट रूप में किया.

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