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हिब्ज-उत-तहरीर के आतंकी रायसेन के जंगल में करते थे कैंप

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

भोपाल. भारत में इस्‍लामिक आतंकी जिहाद के रास्‍ते पर चलकर गैर मुसलमानों को टार्गेट करने में लगे हैं, इसके एक के बाद एक कई मामले सामने आ चुके हैं. विदेशी फडिंग, मदरसों का सहयोग, कुरान की आयतों का अपनी सुविधानुसार इस्‍तेमाल, भड़काऊ भाषण से रुपया इकट्ठा करना और आने वाले वक्‍त में भारत को इस्‍लामिक देश बना देने का इनका स्‍वप्‍न है.

कहा जाए कि यदि इन चरमपंथियों के आपसी गठजोड़ और मंसूबे अब तक बार-बार सामने आने के बाद भी सफल नहीं हो पाए हैं तो इसका श्रेय देश की गुप्‍तचर संस्‍थाओं की सजगता, सक्रियता, एनआईए और राज्‍यों की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) को जाता है. सोच सकते हैं कि ये सभी सतर्क, मुस्‍तैद न हों तो देश का ये आतंकी क्‍या हाल करेंगे.

ताजा मामले में मध्‍यप्रदेश के ‘एंटी टेररिज्म स्क्वॉड’ के हाथ बड़ी सफलता लगी है. एटीएस की कार्रवाई उन तमाम सेक्‍युलरवादी लोगों के मुंह पर भी तमाचा है जो हाल ही में इस्‍लामिक आतंक एवं लव जिहाद को केंद्र में रखकर बनी फिल्‍म ”द केरल स्‍टोरी” का विरोध करने में लगे हैं और इसे झूठा करार दे रहे हैं.

सोचने वाली बात है कि ये सभी खतरनाक मानसिकता रखने वाले गिरफ्तार चरमपंथी जिम ट्रेनर, कम्प्युटर टेक्नीशियन, दर्जी, ऑटो ड्राइवर आदि के रूप में आमजन के मध्य रहकर अपने कार्य को अंजाम दे रहे थे, जिसमें एक तो भोपाल के कोहेफिजा में ‘एडुफोरम ट्यूटोरियल्स’ नाम से अपना कोचिंग सेंटर चला रहा था. (शिक्षा के माध्‍यम से इस्‍लामिक जिहाद फैलाने का प्रयास). एक एनजीओ से जुड़ा हुआ नाम सामने आया है.

मध्‍यप्रदेश में एटीएस चीफ आदर्श कटियार और उनकी टीम ने जिस आतंकवादियों के मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है, वह गैर मुसलमानों के लिए इतना सख्‍त है कि भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के स्थान पर इस्लामिक शरिया कानून लाना चाहता है. दुनिया के 60 देशों में अपना नेटवर्क स्‍थापित करने वाले इस इस्‍लामिक चरमपंथी आतंकी संगठन हिज्ब उत् तहरीर का ख्‍वाब भारत में गजवा-ए-हिंद करना है. गजवा का अर्थ होता है – इस्लाम को फैलाने के लिए की जाने वाली जंग. इस युद्ध में शामिल इस्लामिक लड़ाकों को ‘गाजी’ कहा जाता है. इस तरह मोटे तौर पर गजवा-ए-हिंद का अर्थ हुआ भारत में युद्ध के जरिए इस्लामिक राज्य की स्थापना करना.

मध्‍यप्रदेश में भी इस विचार के सवप्‍न को साकार करने के लिए इस्‍लामिक चरमपंथी-आतंकियों ने बड़ी-बड़ी योजनाएं बना रखी थीं, लेकिन मध्‍यप्रदेश एटीएस ने अनेक स्‍थानों पर छापामारी कर राज्‍य में गुपचुप तरीके से पनप रहे हिज्ब उत् तहरीर संगठन के 16 संदिग्‍ध आतंकियों को गिरफ्तार किया. ये राज्‍य के जंगलों का इस्‍तेमाल रायफल चलाने के प्रशिक्षण के लिए कर रहे थे. इनके पास से मिले देशविरोधी दस्तावेज, तकनीकी उपकरण, कट्टरवादी साहित्य और अन्य जब्त की गई सामग्री इनके आतंक के रास्‍ते पर चलने का पुख्‍ता प्रमाण दे रहे हैं.

प्रतीकात्मक चित्र

आरोपियों को 19 मई तक रिमांड पर भेजा

मध्‍यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा ने कहा – ”भोपाल से गिरफ्तार किए गए कट्टरपंथी संगठन हिब्ज-उत-तहरीर से जुड़े 10 लोगों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है. हैदराबाद से गिरफ्तार 5 अन्य सदस्यों को भोपाल लाया जा रहा है.” उन्होंने बताया कि पांच जो लोग हैदराबाद (तेलंगाना) से गिरफ्तार किए गए, उन्हें भी पुलिस पार्टी भोपाल ला रही है. इन सभी को फडिंग की गंभीरता से जांच की जा रही है. आरोपियों को 19 मई तक के लिए रिमांड पर भेजा गया है.

उन्होंने कहा ‘ये लोग मध्‍यप्रदेश में जिला रायसेन के जंगलों में कैंप करके गोलीबारी का प्रशिक्षण लेते थे. ये सब बातें जांच के दायरे में आ गई हैं. राष्ट्र विरोधी और आतंकवादी गतिविधियों में कथित तौर पर लिप्त हिज्ब-उत-तहरीर के 11 सदस्‍यों को मध्य प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था.’

मध्यप्रदेश एटीएस ने भोपाल के शाहजहांनाबाद, ऐशबाग, लालघाटी और पिपलानी क्षेत्र में कार्रवाई करते हुए कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब उत् तहरीर से जुड़े कई सदस्यों को पकड़ने में सफलता प्राप्‍त की है, जो देश की अब तक इस आतंकी संगठन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई है. राजधानी भोपाल से दस तो राज्‍य के छिंदवाड़ा जिले से एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया. साथ ही हैदराबाद से पांच सदस्यों को अभिरक्षा में लिया गया है. मप्र पुलिस ने आरोपियों खिलाफ यूएपीए एवं अन्य धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया है.

ऐसे करते थे प्रशिक्षण, भर्ती और तैयारी

सभी गिरफ्तार गोपनीय रूप से जंगलों में जाकर क्लोज कॉम्बैट ट्रेनिंग कैंप आयोजित कर निशानेबाजी की प्रैक्टिस करते थे. प्रशिक्षण कैंप में हैदराबाद से आए संगठन के दक्ष प्रशिक्षक द्वारा कैंप में शामिल सदस्यों को ट्रेनिंग दी जाती थी. गोपनीय रूप से दर्श (धार्मिक सभा) आयोजित कर भड़काऊ तकरीरें देकर जिहादी साहित्य का वितरण किया जाता था. आरोपियों द्वारा ऐसे नवयुवकों की पहचान की जा रही थी, जो उग्र स्वभाव के हों और उन्हें संगठन के लिए अपनी जान देने में कोई हिचक ना हो. सभी आरोपी आपस में बातचीत करने के लिए डार्क वेब में प्रचलित विभिन्न कम्युनिकेशन ऐप जैसे ‘रॉकेट चैट’, ‘श्रीमा’ एवं अन्य ऐप का उपयोग करते थे, जिनका उपयोग अधिकतर आतंकी संगठन जैसे ‘आईएसआईएस द्वारा भी किया जाता है.

संगठन की योजना ज्यादा से ज्यादा नवयुवकों को अपने संगठन से जोड़ने और उन्हें हिन्दुओं के विरुद्ध जिहाद के लिए तैयार करना है. सदस्यों को संगठन के लिए चंदा एवं संसाधन एकत्रित करने के लिए कहा जाता था. इनकी बड़े शहरों एवं भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बड़ी घटना को अंजाम देकर लोगों में भय पैदा करने की मंशा थी. इसके लिए संगठन के सदस्यों द्वारा भारत के बड़े शहरों को चिन्हित किया गया था. वे विभिन्न स्थानों पर ड्रोन से टारगेट और क्षेत्र की रेकी करते थे. रेकी के पश्चात क्षेत्र का नक्शा तैयार कर घटना घटित करने की योजना तैयार कर रहे थे.

हिज्ब उत् तहरीर संगठन पर 16 देशों में प्रतिबंध

हिज्ब उत् तहरीर अथवा तहरीक-ए-खिलाफत संगठन का नेटवर्क 60 से अधिक देशों में फैला हुआ है. इस संगठन पर 16 देशों में प्रतिबंध लग चुका है. यह संगठन भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के स्थान पर इस्लामिक शरिया कानून लाना चाहता है. इसके लिए संगठन ने मध्यप्रदेश में भी गुपचुप तरीके से अपना कैडर तैयार करना प्रारंभ कर दिया था. संगठन से जुड़े सदस्यों का उद्देश्य नवयुवकों को भारत की वर्तमान शासन प्रणाली इस्लाम विरोधी बताकर संगठन से जोड़ना था. संगठन के सदस्य लोगों को भड़काकर और हिंसक कार्रवाई कर खिलाफत कायम करना चाहते थे.

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