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भारत-अमेरिका की 2 प्लस 2 बैठक में ऐतिहासिक BECA समझौता

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नई दिल्ली. भारत और अमेरिका के बीच 2 प्लस 2 (रक्षा और विदेश मंत्रियों की) वार्ता ऐसे समय में हो रही है, जब भारत का पड़ोसी और दुनिया में विस्तारवाद वाली गिद्ध दृष्टि के लिए चर्चित चीन एक ओर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव बनाए हुए है तो दूसरी ओर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी आर्थिक और सैन्य गतिविधियों को विस्तार देने का प्रयास कर अमेरिका को भी चुनौती देने की मूर्खता करने के साथ पड़ोसी देशों की सुरक्षा और संप्रभुता पर सवाल खड़े कर रहा है.

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे सैन्य तनाव के बीच अमेरिका ने भारत के पक्ष में खड़ा होने का एक तरह से एलान किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि भारत की संप्रभुता और आजादी बनाए रखने की हर कोशिश में अमेरिका उसके साथ खड़ा है. पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन की घुसपैठ की अमेरिका पहले भी आलोचना करता रहा है, लेकिन भारत की राजधानी से अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान का बहुत महत्व है.

पोंपियो ने मंगलवार को तीसरी टू प्लस टू वार्ता समाप्त होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कही. टू प्लस टू वार्ता में अमेरिकी पक्ष की अगुआई पोंपियो के साथ रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने की. जबकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भारतीय दल ने हिस्सा लिया. दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की सोमवार को अलग–अलग द्विपक्षीय बैठकें हुई थीं, जिसमें रणनीतिक सहयोग की भावी रूपरेखा पर चर्चा हुई थी. टू प्लस टू वार्ता तकरीबन तीन घंटे चली. इसके बाद उक्त चारों नेताओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग से एक बैठक हुई. विशेष बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत केन जस्टर भी शामिल थे.

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भारत को अपना लोकतांत्रिक मित्र बताते हुए आतंकवाद से अमेरिका तथा भारत के लोगों की सुरक्षा किये जाने की बात कही और भारत को पाकिस्तान प्रायोजित तथा अन्य प्रायोजित आतंकवाद को समाप्त करने में समर्थन देने का आश्वासन बातचीत के दौरान अमेरिकी पक्ष ने दिया, कहा कि उसकी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर खतरे से मुकाबले में अमेरिका भारत के साथ है. जयशंकर, पोम्पिओ और एस्पर के साथ संयुक्त रूप से मीडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों ने कई अहम मुद्दों पर व्यापक चर्चा की और अमेरिका के साथ ‘बीईसीए’ पर दस्तखत को एक “महत्वपूर्ण कदम” बताया. “सेना से सेना के स्तर पर अमेरिका के साथ हमारा सहयोग काफी अच्छे से आगे बढ़ रहा है” और रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिये परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है. “हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करते हैं.”

पोंपियो ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यात्रा के दौरान वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सम्मान में बलिदान देने वाले शहीदों, जिनमें जून में गलवान घाटी में चीन की पीएलए द्वारा मारे गए 20 भारतीय सैन्यकर्मी भी शामिल हैं, को श्रद्धांजलि देने समर स्मारक भी गए.

पोंपियो ने कहा, “भारत के लोग जब अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर खतरे का सामना करते हैं तो अमेरिका उनके साथ खड़ा होगा.” चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की आलोचना करते हुए पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिकी नेता और नागरिक बढ़ती स्पष्टता के साथ यह देख पा रहे हैं कि “सीसीपी लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता की मित्र नहीं है”. अमेरिका और भारत न सिर्फ सीसीपी द्वारा उत्पन्न, बल्कि सभी तरह के खतरों से निपटने के लिये सहयोग बढ़ाने के लिये कदम उठा रहे हैं.

जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा तालमेल में वृद्धि हुई है और हिंद-प्रशांत चर्चा का एक केंद्र था. अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्पर ने कहा कि द्विपक्षीय रक्षा सहयोग लगातार बढ़ रहा है. रणनीतिक संबंधों के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण ‘बीईसीए’ पर दस्तखत के साथ दोनों देशों के बीच चार महत्वपूर्ण करार को अंतिम रूप दे दिया गया. दोनों देशों ने जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इनफॉर्मेशन एग्रीमेंट (जीएसओएमआईए) पर 2002 में दस्तखत किए थे. वर्ष 2010 में भारत और जापान के बीच भी इस तरह की वार्ता हो चुकी है.

भारत और अमेरिका के बीच 2 प्लस 2 कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) समझौता हुआ है, वह एक बड़ी उपलब्धि है. भारत के साथ अमेरिका का यह चौथा और अंतिम ‘मूलभूत’ समझौता है. इसके अंतर्गत निम्नलिखित विषय आएंगे …..

  • दोनों देशों ने सैन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान और सुरक्षित संचार व्यवस्था को बनाने के लिए पहले ही जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट (2002), लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (2016), कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (2018) पर हस्ताक्षर किए हैं.
  • BECA गोपनीय भू-स्थानिक डेटा के साथ-साथ महत्वपूर्ण सैन्य अनुप्रयोगों वाली अहम जानकारी तक भारत को पहुंच प्रदान करेगा. इसके तहत दोनों देश मानचित्र, समुद्री और वैमानिकी चार्ट, वाणिज्यिक और अन्य अवर्गीकृत इमेजरी, भूभौतिकीय, भू-चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण डेटा का आदान-प्रदान करेंगे.
  • यह समझौता अमेरिका को उपग्रह और सेंसर से लिया गया संवेदनशील डेटा साझा करने की अनुमति देगा, जो भारत को बेहद सटीकता के साथ सैन्य लक्ष्यों को देख पाने में मदद करेगा. इसके अलावा भारत हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों के आवागमन या अन्य हरकतों पर कड़ी नजर रख सकेगा.
  • पाकिस्तान के मामले में देखा जाए तो अगर कभी बालाकोट की तरह एक और हवाई हमला होता है, तो भारत ऐसे लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट किए जाने की अमेरिका के उपग्रह और अन्य माध्यम से मिलने वाले डाटा से पुष्टि कर सकेगा. भारत सरकार ने कहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर से दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच संबंध और भी घनिष्ठ हो जाएंगे.

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