दो महीन से किसान आंदोलन के नाम पर चालें चल रहे लोगों का असली चेहरा आज देश के सामने आ गया. आखिरकार वही हुआ, जिसकी संभावना बीते कई दिनों से जताई जा रही थी. दिल्ली पुलिस बार-बार कॉन्फ्रेंस करके बताती रही कि किसानों के आंदोलन में उपद्रवी तत्व घुस चुके हैं, इंटेलीजेंस बताता रहा कि पाकिस्तान से आन्दोलन को भड़काने की कोशिश कर रही है, लेकिन अपने मद में चूर किसान नेता पुलिस की बात को अनसुना करते रहे. पुलिस समझाती रही और किसान नेता कहते रहे कि हम तिरंगा लहराएंगे, लेकिन आज तस्वीरें तलवार लहराने की आ रही हैं. मीडिया, सोशल मीडिया पर चल रही यह तस्वीरें और वीडियो किसी को भी यह सवाल पूछने के लिए विवश कर देंगे कि क्या यह मेरे देश का किसान है? क्या मेरे देश का किसान ऐसा है? उत्तर होगा, नहीं ये किसान नहीं हैं…..
तोड़े सारे नियम
पहले तो किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने अड़ गए. सरकार ने नरम रुख अपनाया, मगर फिर भी उनकी जिद में कहीं से कोई कमी नहीं आई. किसानों ने जिद पकड़ी कि उन्हें 26 जनवरी को परेड निकालनी है, पुलिस ने समझाया बाद में पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें जाने की इजाजत भी दे दी. लेकिन आज जब रैली का दिन आया तो उन्होंने सारी शर्तों को धत्ता बता दिया, सारे नियम तोड़ डाले. पुलिस बैरिकेड माचिस की तीलियों की तरह तोड़ दिए गए और देश की राजधानी पर इस तरह से हमला किया गया, मान लो लोग लूटने आए हों…..
जगह जगह हो रही हिंसा
ट्विटर पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक व्यक्ति खुलेआम पुलिस वाले पर तलवार लहराता दिखाई दे रहा है. कहीं पुलिस वालों के सर से बहता हुआ खून है तो कहीं खिलौने की तरह नाचती हुई बस. पुलिस के ऊपर लाठियां चलाई जा रही हैं, साथ ही जगह-जगह पत्थर भी बरसाए जा रहे हैं. इन सब के बीच जब किसान नेता टिकैत से सवाल किया गया तो वह कह रहे हैं कि मुझे कुछ भी जानकारी नहीं है.
लाल किले पर दूसरा झंडा फहराना
लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज शान से लहराता है. ये हमारे गौरव, स्वाभिमान का प्रतीक है. देश के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराते हैं. लाल किले की प्राचीर में घुसे अराजक तत्व लाल किले पर दूसरा झंडा लहराकर क्या साबित करना चाहते हैं.
कुछ दिन पहले ही खालिस्तानी संगठन ने इंडिया गेट/लाल किले पर खलिस्तानी झंडा फहराने वाले व्यक्ति को नगद पुरस्कार देने की घोषणा की थी. आज की हरकतों को देख षड्यंत्र को समझा जा सकता है. देश की गरिमा को धूल धूसरित करने की कोशिश की जा रही है और कल तक मानवता की, देश की आन-बान-शान की बात करने वाले किसान नेता ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. और इन तथाकथित किसानों से हरकतों से पाकिस्तान फूला नहीं समा रहा.