जयपुर. राजस्थान में वर्षों से मतांतरण का खेल चल रहा है. विगत कुछ वर्षों में मतांतरण के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है. अब गैर जनजाति क्षेत्रों में भी मतांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अनुसूचित वर्ग को लक्ष्य बनाया जा रहा है. पिछले माह उदयपुर के साथ- साथ भरतपुर और झुंझुनूं जिले में मतांतरण के मामले सामने आए हैं. इनमें कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं.
झुंझुनूं जिले के चनाना के राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम विद्यालय की शिक्षिका प्रेमलता ओला पर ग्रामीणों ने ईसाई पंथ के अवैध प्रचार- प्रसार का आरोप लगाया. ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर शिक्षिका प्रेमलता को भी निष्कासित करने की मांग की. प्रारंभिक जांच में सामने आया कि, शिक्षिका प्रेमलता ओला मूलतः चिड़ावा के समीप आड़ावता गांव की रहने वाली है और इसी के बहकावे में आकर गांव के दो परिवारों ने ईसाई मत अपना लिया. प्रेमलता ओला ने लगातार इन लोगों से संपर्क कर इन्हें उकसाया था. प्रेमलता लंबे समय से विद्यालय में छात्रों का ब्रेनवॉश करके उन्हें मतांतरण के लिए प्रेरित कर रही थीं. कई बार उसे इन गतिविधियों को करवाते पकड़ा है.
गांव के सरपंच चरण सिंह बताते हैं – प्रेमलता ओला के परिवार में और भी कई लोग हैं जो मतांतरण के खेल में शामिल हैं. राजनीतिक पहुंच के कारण लोग इनका नाम लेने से डरते हैं. यही कारण भी है कि अब तक प्रेमलता ओला पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई
चरण सिंह के पास कई ग्रामीणों के फोन आते हैं. लोगों की शिकायत रहती है कि अध्यापिका उनके बच्चों को जबरन मतांतरण कर गलत रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है. ग्रामीणों ने पिछले साल बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मतांतरण के लिए प्रेरित करने वाली गतिविधि का वीडियो बनाया था और इसका विरोध भी किया था.
चौंकाने वाली बात है कि इसी विद्यालय में शिक्षिका का भाई महेंद्र भी शिक्षक पद पर कार्यरत है. जिसने बच्चों को परीक्षा में नंबर कम देने की धमकी तक दे डाली. बच्चों ने बताया कि, घटना का वीडियो वायरल होने व एसडीएम को ज्ञापन सौंपने के बाद महेंद्र ने उन्हें मतांतरण वाली बात किसी को नहीं बताने का दबाव डाला. इतना ही नहीं उसने परीक्षा में कम नंबर देने की धमकी भी दी. इतना ही नहीं इस संबंध में एक पेपर पर हस्ताक्षर भी करवाया गया.
इधर, उदयपुर में भी कन्वर्जन का एक बड़ा मामला सामने आया है. शहर के न्यू भूपालपुरा रोड स्थित एक मकान में कुछ लोगों ने एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के नाम पर एक भवन पिछले एक साल से किराए पर ले रखा था, जहां प्रतिदिन कई युवक, युवतियां व अन्य लोग आया करते थे. भवन की गतिविधियों को देखकर स्थानीय लोगों को कुछ संदेह हुआ क्योंकि वहां कोचिंग जैसी कोई गतिविधि संचालित नहीं होती थी. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पिछले एक साल से शनिवार और रविवार को अधिक लोग एकत्रित होते ईसाई धर्म की प्रार्थना करते थे. इनमें सबसे अधिक संख्या युवतियों की होती है. कुछ दिन पहले स्थानीय लोगों ने एक दम्पति को अपने दो छोटे बच्चों के साथ भवन से बाहर आते देखा तो उनसे कुछ सवाल किए. प्रश्नों का सही से जवाब नहीं देने पर वहां हिन्दू समाज ने विरोध दर्ज कराया. इस दौरान सेंटर संचालिका स्थानीय लोगों से भी अभद्रता की. इस पर लोगों ने सुखेर थाने में सूचना दी. पुलिस मौके पर पहुंची तो महिला ने पुलिस के साथ भी अभद्रता की व और छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए. हैरानी की बात है कि मीडिया की उपस्थिति में भी सेंटर की महिलाएं झूठ बोलती रही. ये हैरानी उस समय और अधिक बढ़ गई जब इन महिलाओं ने पुलिस पर ही उन्हें छेड़ने के आरोप लगा दिए. पुलिस की पड़ताल में सेंटर में जीसस की तस्वीर और प्रचुर मात्रा में ईसाई मत जुड़ा साहित्य मिला.
बतौर भवन मालिक गौरीशंकर माली की मानें तो, ”यह भवन एजुकेशन इंस्टीट्यूशन के नाम से डेविड देसाई ने ले रखा था. उसके एग्रीमेंट में लिखा था कि वह भवन को एजुकेशन इंस्टीट्यूशन के रूप में ही उपयोग करेगा”.
निशाने पर जनजातीय समाज
उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, राजसमंद और प्रतापगढ़ मुख्यतः जनजाति बहुल क्षेत्र हैं. यहां रहने वाले बच्चे कॉलेज व कोचिंग के लिए उदयपुर आते हैं. उदयपुर में लगभग सात से आठ बड़े कोचिंग सेंटर हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों का आरोप है कि परिवार से दूर रहने वाले बच्चों की मजबूरी का फायदा उठाकर इन्हें झांसे में लेकर मतांतरित किया जाता है.
ऐसा ही एक अन्य मामला उदयपुर की जनजातीय बहुल तहसील कोटड़ा से भी सामने आया. जहां तहसील का सुबरी गांव इन दिनों बड़ा चर्चित है. यहां इसाई मिशनरीज केंद्र का ही निर्माण किया जा रहा है. लगभग 31 बीघा जमीन पर निर्माण कर एक बड़ा हॉल व कुछ कमरे बनाए जा चुके हैं. प्राथमिक जानकारी के रुप में इस बात का खुलासा हुआ है कि स्थानीय मुस्लिम परिवार लियाकत अली, इनायतअली व शौकत अली ने यह जमीन ईसाई संस्था को बेची है. ये संस्था इंदौर की ‘डिवाइन वर्ल्ड सोसायटी’ है, जिसने जमीन खरीदी है. केंद्र के निर्माण के लिए राजस्थान सहित अन्य राज्यों के लोग भी आ रहे हैं. इसी के साथ निर्माण कार्य के लिए फंड भी बाहर से आ रहा है. स्थानीय अनुसूचित जनजाति के लोग और संत समाज इससे आक्रोशित हैं.
संतों ने सौंपा सीएम के नाम ज्ञापन
ग्रामीणों का आरोप है कि इसे मतांतरण गतिविधियों का केंद्र बनाया जा रहा है. इसे रोकने के लिए आमजन व साधु संतों ने उपखंड अधिकारी कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर निर्माण कार्य शीघ्र रोकने की मांग उठाई. इतना ही नहीं सामाजिक कार्यकर्ता और साधु संतों का ये भी मानना है कि ”यहां बड़ी संख्या में संदिग्ध लोग आ रहे हैं. इसे रोकने के लिए सघन जांच अभियान की आवश्यकता है”.
प्रतिनिधिमंडल कहता है कि ‘चर्च के माध्यम से स्थानीय जनजातियों को स्वार्थ अथवा धोखे से मतांतरण करवाया जाता है. पिछले वर्ष भी इसी स्थान पर लोगों ने गैरकानूनी मतांतरण के विरुद्ध प्रदर्शन किया था और यहां के तहसीलदार ने लगभग तीन सौ लोगों का मतांतरण मौके पर पहुंचकर रुकवाया था.
आखिर कब तक राजस्थान की जमीन पर मतांतरण खेल यूं ही चलता रहेगा? कब तक भोले भाले लोग भ्रम जाल में फंसते रहेंगे? आज इस विषय पर समाज जागरण की आवश्यकता है.