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ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोये….

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ग्वालियर. मेरी मां उमा कौरव ने कहा कि ताई जल्दी आना तो शैलजा ताई ने भावुक होकर कहा कि मैं अब नहीं आऊंगी. ताई की यह बात सत्य साबित हुई. अब वह वाकई हम सभी के बीच कभी लौटकर नहीं आएंगी. जब यह बात कुमारी निधि ने रुंधे गले से कहा तो माहौल भावुक व गमगीन हो गया.

राष्ट्र सेविका समिति की पूर्व अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका एवं पीजीवी महाविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका शैलजा काकिर्डे की स्मृति में रविवार को राष्ट्रोत्थान न्यास में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई.

शैलजा ताई का 22 मई को इंदौर में निधन हो गया था. ग्वालियर में शैलजा ताई के घर में किराए पर रहने वाली निधि ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि ताई ने मेरी मां से भावुक होकर कहा था, काश आप मेरे घर पहले आ गईं होती तो मैं कभी इंदौर नहीं जाती. ताई की यादों में खोते हुए निधि ने कहा कि शैलजा ताई स्व. तराणेकर जी की प्रतिमूर्ति थीं. बस अंतर इतना था कि श्री तराणेकर जी वरिष्ठ प्रचारक थे और ताई जी गृहिणी.

ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोये

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर जी ने श्रद्धेय ताई को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कबीर दास जी पंक्तियां … कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोये… ताई पर चरितार्थ होती है. ताई आज हम सभी के बीच नहीं हैं, लेकिन हम सब उन्हें हृदय से याद कर रहे हैं. ताई की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वह व्यवस्थित ढंग से जीती थीं. वह एक अच्छी गृहिणी, अच्छी प्राध्यापिका और अच्छी समाजसेविका थीं. उनका सामंजस्य काबिले तारीफ था. उनकी पारखी नजर थी. वह लोगों को प्रोत्साहित करती थीं. उनका संपूर्ण व्यक्तित्व प्रेरणादायक है.

बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं शैलजा ताई

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि शैलजा ताई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं. वह एक आदर्श शिक्षिका, आदर्श गृहिणी और समर्पित कार्यकर्ता थीं. वह सबकी चिंता करती थीं. उनका जीवन प्रचारक जैसा था. वह हर परिस्थिति को सही ढंग से संभाल लेती थीं.

राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष राजेंद्र बांदिल ने स्व. शैलजा ताई को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका दिव्य व्यक्तित्व था. वह सजग और राष्ट्र प्रेम से भरी हुईं थीं. संवेदना से परिपूर्ण थीं. हम श्रद्धांजलि सभा में श्रद्धांजलि देते हैं, लेकिन हम उस व्यक्ति की, उस आत्मा की परछाईं को साथ लेकर भी जाते हैं. उन्होंने कहा कि ताई समय प्रबंधन की वजह से एक साथ कई जिम्मेदारियों का सफलता पूर्वक निर्वहन करती थीं.

विभाग संघचालक विजय गुप्ता ने कहा कि श्रद्धेय ताई हर समय व्यस्त रहती थीं. वह समय की सही सदुपयोग करती थीं. किसी भी कार्यक्रम में वह समय से ही पहुंचती थीं. नागरिक सहकारी बैंक के पदाधिकारी को आने-जाने के लिए राशि मिलती थी, जिसे उन्होंने कभी स्वीकार नहीं किया.

वह सादगी की प्रतिमूर्ति थीं.

संस्कार भारती की रंगोली प्रमुख अनीता करकरे ने कहा कि ताई एक प्रखर वक्ता थीं. उन्होंने हमारा मनोबल बढ़ाते हुए कहा था कि आप भी मेरी तरह बौद्धिक दे सकती हो, इसके लिए आपको अध्ययन और चिंतन करना पड़ेगा. वह हर समय हमें प्रोत्साहित करती रहती थीं. प्रवास पर होने के कारण विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी ताई के श्रद्धांजलि का वाचन महिमा तारे ने किया. उन्होंने कहा कि शैलजा ताई नियमित रूप से स्वाध्याय करती थीं. वह कार्यकर्ताओं को पुस्तकें भी पढ़ने को देती थीं. पीजीवी महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. स्वाती ने कहा कि शैलजा ताई का चुंबकीय व्यक्तित्व था. उनके संपर्क में जो भी आता था, वह उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था. कार्यक्रम का संचालन कल्पना शर्मा ने किया.

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