नई दिल्ली. सीबीआई (केन्द्रीय जांच ब्यूरो) ने चार हजार करोड़ रुपये के आईएमए (आई-मॉनिटरी एडवाइजरी) घोटाला मामले में कंपनी के प्रबंध निदेशक, वरिष्ठ अधिकारियों सहित कुल 28 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में पूरक आरोप पत्र दायर किया है.
सीबीआई ने बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में दायर अपने पूरक आरोप पत्र में मामले में आईएमए के प्रबंध निदेशक मंसूर खान, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी महानिरीक्षक हेमंत निंबालकर और उपायुक्त रैंक के अजय हिलोरी, बेंगलुरु नॉर्थ सब डिवीजन के तत्कालीन सहायक आयुक्त एलसी नागराज सहित अन्य को भी आरोपी बनाया है. इसके साथ ही, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक (सीआईडी) ईबी श्रीधर, कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस थाने के निरीक्षक और एसएचओ एम. रमेश और थाने के उप-निरीक्षक पी. गौरीशंकर को भी आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
सीबीआई ने पूरक आरोप पत्र में कहा कि कर्नाटक सरकार के राजस्व अधिकारियों के साथ बेंगलुरु के पुलिस अधिकारियों ने आईएमए के संबंध में प्राप्त शिकायतों और सूचनाओं में पूछताछ और जांच पड़ताल को बंद कर दिया था.
सीबीआई के प्रवक्ता आर.के. गौड़ ने बताया कि, ‘‘आरोपियों ने केपीआईडीएफई अधिनियम 2004 सहित कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई नहीं की, बल्कि इसके बजाय क्लीन चिट दे दी और कहा कि उक्त निजी कंपनी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं थी. कंपनी की अवैध गतिविधियां बेरोकटोक जारी थीं और कई हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए थे.’’
क्या है आईएमए पोंजी घोटाला?
पोंजी घोटाले के मुख्य आरोपी मोहम्मद मंसूर खान ने 2006 में आईएमए के नाम से एक कंपनी खोली थी. यह कंपनी कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू सहित कुछ जिलों में अपना संचालन कर रही थी. कंपनी ने लोगों के साथ निवेश के नाम पर धोखाधड़ी शुरू कर दी. कंपनी पर आरोप था कि उसने लोगों को 17-25 फीसदी का लालच देकर पैसे निवेश करवाए, लेकिन जब रिटर्न देने का समय आया तो कंपनी का मालिक मंसूर खान दुबई फरार हो गया. हालांकि, बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.