करंट टॉपिक्स

भारत में महिलाओं ने पुरुषों को गढ़ा है – बाबूलाल जी

Spread the love

जयपुर, 11 सितम्बर.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक बाबूलाल जी ने कहा कि स्त्री को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं, वह स्वयं संसार को सुरक्षित रखने का काम करती आई है. रानी हाड़ी ने मोह में फंसे पति को स्व- बलिदान देकर कर्तव्य की याद दिलाई, पन्ना धाय मेवाड़ के भविष्य उदयसिंह को बचाने के लिए अपने बेटे तक का बलिदान देने में नहीं हिचकी. इन दोनों ने सुरक्षा की मांग नहीं की, बल्कि राज्यों को सुरक्षित किया.

राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ सभागार में आयोजित महिला सुरक्षा- चुनौतियां एवं समाधान विषय पर आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी में संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि अमृता देवी ने पेड़ों को बचाने के लिए बलिदान दिया. उनकी दोनों बेटियां भी उस समय, मां को बचाने नहीं आईं, बल्कि दो अलग अलग पेड़ों से लिपट गईं. बड़े लोग जो काम करते हैं, बच्चे उसी का अनुसरण करते हैं. भारत में महिलाओं ने पुरुषों को गढ़ा है. इसीलिए हमारे यहां कहा गया है, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता. आज भारत में स्त्री को लेकर कोई समस्या है तो वह भारतीय विचार को भूलने के कारण है. सिर्फ कानून बनने से समस्याओं का हल नहीं होने वाला. बच्चों की प्रथम गुरु मां होती है. वही उन्हें संस्कारित करती है. शिवाजी को प्रेरणा देने वाली उनकी मां जीजाबाई थीं.

स्वतंत्र पत्रकार और विचारक डॉ. शिप्रा माथुर ने कहा कि देश में यौन हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही जघन्यता भी बढ़ी है. पहले सिर्फ रेप होते थे, अब दुष्कर्म के बाद पीड़िताओं की हत्या भी हो रही है, ऐसी घटनाएं चिंताजनक हैं.

वरिष्ठ आईपीएस और वर्तमान में एडीजी रेलवे अनिल पालीवाल ने कहा कि महिला सुरक्षा का विषय समाज और संस्कृति से जुड़ा है. इसको लेकर राज्य सरकार और पुलिस भी चिंतित है. महिलाएं हमेशा से समाज की पोषक रही है. इसे समाज ने स्वीकारा भी है. चाहे गाय हो या फिर नदियां, हमने इन्हें भी मां का स्थान दिया है. सनातन संस्कृति में महिला का सम्मान रचा बसा है. एडीजी पालीवाल ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 90 प्रतिशत अपराधी परिचित ही होते हैं.

अधिवक्ता मूमल राजवी ने कहा कि महिला सुरक्षा और सम्मान सभ्य समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है. जिस देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं, वो देश प्रगति भी नहीं कर सकता. मूमल राजवी ने अजमेर सेक्स स्कैंडल की चर्चा करते हुए कहा कि वह दौर कितना भयावह रहा होगा, जब एक बालिका से शुरू हुआ यह घिनौना कृत्य 250 बालिकाओं के जीवन को तबाह कर गया. कुछ बालिकाओं ने आत्महत्या कर ली. इस मामले में आरोपी यूथ कांग्रेस से जुड़े थे और अजमेर दरगाह के खादिम परिवार से थे. उनकी पहुंच और दबदबे के आगे सिस्टम भी कुछ नहीं कर पाया. कुछ आरोपी बरी हो गए और कुछ जमानत पर रिहा होकर आराम का जीवन गुजार रहे हैं. 32 वर्ष बाद 6 आरोपियों को सजा हुई है. यह बताता है कि हमारा सिस्टम कितना कमजोर है. मूमल ने कहा कि चुप्पी अपराधियों को निडर बनाती है. इतिहास उन्हीं का लिखा जाता है, जो अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाते हैं.

अजमेर सेक्स स्कैंडल के बाद 1999 से 2003 तक अजमेर में शिक्षा ग्रहण करने वाली पुष्पा यादव ने कहा कि उस समय लोग इस मामले की चर्चा करने से भी डरते थे. घर वाले दरगाह की ओर जाने से भी मना करते थे. एक बार जब सहेलियों के साथ दरगाह गए तो मुस्लिम लड़के दरगाह में भी फब्तियां कसने से बाज नहीं आए. वे हमें देखकर गा रहे थे, “हुस्न की चक्की चली फिर एक दाना फंसा, हम फंसे तो क्या फंसे मौलाना और चिश्ती फंसा.” इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय अजमेर में कैसा वातावरण रहा होगा.

संगोष्ठी के आरम्भ में समर्थ सेवा न्यास की अध्यक्ष डॉ. मंजु शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि महिला सुरक्षा का विषय सिर्फ महिलाओं का नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र का विषय है. कानून होने के बावजूद घटनाएं हो रही हैं. कोलकाता का मामला आप सबके सामने है. मनसा अध्यक्ष डॉ. सुनीता अग्रवाल ने सभी का आभार जताया.

संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मां शारदे के भजन से हुआ तथा समापन शांति मंत्र से. कार्यक्रम का आयोजन समर्थ सेवा न्यास, मनसा और डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग की ओर से किया गया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *