कानपुर. स्वर संगम घोष शिविर का उद्घाटन पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म इंटर कॉलेज आजाद नगर के मां सुशीला नरेन्द्रजीत सिंह सभागार में सम्पन्न हुआ. अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी ने शिविर का उद्घाटन किया. उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे विशेष शिविर में आए हैं. दूसरा सौभाग्य है कि इसमें पूजनीय सरसंघचालक जी रहने वाले हैं. घोष संगीत की कला है. संगीत में ध्वनि होती है, शंकर जी के डमरू में ध्वनि होती है, श्री कृष्ण जी की बंशी में ध्वनि होती है, सरस्वती जी की वीणा में ध्वनि उत्पन्न होती है. विश्व में अनादि काल से ध्वनि उत्पन्न करने के तीन ही तरीके हैं.
जो कान को प्रिय लगे उसे संगीत कहते हैं, जो अप्रिय लगे उसे शोर कहते हैं. जीवन भी एक संगीत है. उसकी यदि लय और ताल ठीक से चलती रहे तो दूसरे के लिए प्रेरणादाई होती है. जीवन का संगीत तब ठीक होता है, जब लोग व्यक्ति से मिलने के लिए बार बार सोचें. घोष में ताल, लय तथा स्वर तीनों सुंदर होते हैं. संचलन यदि घोष के साथ चले तो सेना का प्रदर्शन याद आता है, यदि घोष न हो तो वह भीड़ हो जाती है. संघ में हम व्यक्ति निर्माण करते हैं. वह व्यक्ति बाद में समाज में जाकर संघ के स्वरूप को स्पष्ट करता है. देश हमें देता है, सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें… इस भाव से हम सब यहां आए हैं. हम सभी अपना शुल्क, अपना गणवेश, अपना समय देकर घोष शिविर में घोष सीखने के लिए आए हैं.
स्वर संगम घोष शिविर में 21 जिलों से 973 शिविरार्थी उपस्थित हैं. 50 शिक्षक एवं 200 कार्यकर्ता व्यवस्था में हैं.
उद्घाटन सत्र में ज्ञानेंद्र सचान जी (प्रांत संघचालक), ओंकार अवस्थी जी (शिविर कार्यवाह), जगदीश प्रसाद जी (अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख), अनिल जी (क्षेत्र प्रचारक), अजीत अग्रवाल जी (सह शिविर कार्यवाह), अनिल श्रीवास्तव जी (प्रांत कार्यवाह), श्रीराम जी (प्रांत प्रचारक) सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे.