रायपुर. राज्य सरकार सत्ता में आने के बाद से ही जनजाति समाज की निरंतर अनदेखी कर रही है, जनजाति समाज के हितों के खिलाफ निर्णय ले रही है. यही कारण है कि, स्थानीय जनजाति समाज विभिन्न विषयों को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है.
फिर चाहे जनजाति विकास आयोग में पादरी की सदस्य के रूप में नियुक्ति हो, या चाहे सरगुजा क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों द्वारा जनजाति समाज की रीति परंपरा का अपमान करने का मामला हो या बस्तर क्षेत्र में लगातार हो रहे मतांतरण का विषय हो. इसके अलावा पंडो जनजाति के साथ हो रहा अन्याय हो या प्रदेश के जनजाति समाज कल्याण मंत्री द्वारा मजाक उड़ाना हो. सभी विषयों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार लगातार विवादों में रही है और उसे आलोचना का सामना करना पड़ा है.
अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने नया कारनामा कर दिखाया है. जिसके बाद से सरकार जनजाति समाज के निशाने पर है.
छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना दिवस उत्सव के दौरान राजधानी रायपुर में एक बड़ा आयोजन किया गया था, जिसमें जनजाति समाज को एक तरह से अपमानित किया गया. आयोजन में एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग ने बैगा जनजातियों की संस्कृति को प्रदर्शित किया था.
लेकिन, हैरान करने वाली बात है कि जनजातियों की भावनाओं, मान-सम्मान को आहत करते हुए बैगा जनजाति के नागरिकों को ही प्रदर्शनी स्थल पर बैठा दिया था, जहां राज्योत्सव देखने पहुंचे लोग उनके साथ सेल्फी ले रहे थे और उन्हें मनोरंजन का साधन समझ रहे थे. बैगा जनजाति के लोग एक सांस्कृतिक समूह का हिस्सा थे.
दरअसल, जो जनजाति आज विलुप्त की कगार पर है उसे भूपेश बघेल की सरकार प्रदर्शनी के तौर पर पेश कर रही है और उन्हें मनोरंजन के साधन के रूप में सरकारी स्टॉल में बिठा दिया गया. एक नागरिक को इस तरह से प्रदर्शनी के रूप में बैठाना, ना सिर्फ जनजाति संस्कृति का अपमान है, बल्कि यह मानव अधिकार का भी उल्लंघन है.
इनपुट – https://thenarrativeworld.in