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कोरोना के खिलाफ जंग में सेवाभावी संस्थाएं सेवा में जुटीं

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मुंबई. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है. सैकड़ों को जीवन से हाथ धोना पड़ा है. लाखों संक्रमण का शिकार हुए हैं. ऐसी स्थिति में प्रभावितों व समाज को संबल प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित २० सेवाभावी संस्थाएं सेवा कार्य के लिए आगे आई हैं. इसके लिए हेल्पलाइन नंबर (022-41667466) जारी किया गया है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति, केशवसृष्टी माय ग्रीन सोसायटी, सेवा सहयोग, सेवांकुर, निरामय सेवा संस्था, आरोग्य भारती, समिधा, हेल्थ कॉसेप्ट, राष्ट्रीय सेवा समिति, चिंगारी सेवा फाऊंडेशन, नेशनल मेडिकोज़ आर्गेनाइजेशन, संस्थाएं सेवा कार्य में सहयोग कर रही हैं. अभियान के अंतर्गत अनेक उपक्रम चलाए जा रहे हैं. प्लाज्मा दानदाता, व प्राप्तकर्ता की सूची बनाई जा रही है. आज तक १००० से १५०० लोगों ने सूची में नाम जोड़ा है. सेवांकुर संस्था द्वारा यह कार्य किया जा रहा है. प्लाज्मा डोनेशन के लिए अधिक से अधिक लोग आएं, इसके लिए जनजागरण अभियान भी चलाया जा रहा है.

कोरोना संक्रमितों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मांग बढ़ रही है, इसे ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, होम क्वारेंटाइन लोगों के लिए बेड, व्हील चेयर, की व्यवस्था की जा रही है. कोरोना संकट काल में मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने की संभावना भी रहती है, तनाव से ग्रस्त न हों, इसके लिए काउंसलिंग की भी व्यवस्था की गई है. होमियोपेथी, एलोपेथी, आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में मार्गदर्शन विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है.

तेजी से बढ़ते संक्रमण में पूरा परिवार संक्रमित होने के कारण होम क्वारेंटाइन की संख्या बढ़ी है. ऐसे परिवारों के लिये एवं अकेले क्वारेंटाइन हुए व्यक्ति के लिये १४ दिन अथवा आवश्यकता के अनुसार दो समय निःशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. निःशुल्क टिफिन सेवा के लिये ९७६९५५९८८९, ९८१९८६८५७५ अथवा ८५९१३३६५८९ व्हाट्सएप नंबर शुरू किये गए हैं. लगभग ४०० लोगों तक यह सुविधा पहुंच रही है. क्षमता बढ़ाकर कुछ दिनों में पूरे मुंबई में इस सुविधा को उपलब्ध करवाने का प्रयास चल रहा है. अत्यंत अनुशासनपूर्वक और कोरोना नियमों का पालन कर यह कार्य चल रहा है.

हमारे देश में सेवाभाव नया नहीं है. परंतु आज जो सेवाकार्य चल रहा है, वह अभूतपूर्व है. कारण, सेवा कार्य के दौरान संक्रमण का खतरा भी है. लेकिन, भय को मात देकर संस्थाओं के स्वयंसेवक सेवा कार्य में लगे हैं. यह सामान्य बात नहीं है. यह कार्य सराहनीय, प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय है.

संत कबीर दास ने कहा है – सेवक फल मांगे नहीं, सेवा करे दिन रात…. अर्थात सेवा करने वाला, फल की अपेक्षा नहीं करता, बल्कि दिनरात निःस्वार्थ रूप से सेवा करता है.

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