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चीन की कुटिलता पर भारत सरकार का करारा जवाब

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नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों पर चीन गाहे-बगाहे अपना अनैतिक दावा करता आया है. क्षेत्र को चीनी कम्युनिस्ट सरकार दक्षिण तिब्बत के रूप में पेश करती है, हालांकि यह बात सर्वविदित है कि तिब्बत भी चीन का हिस्सा नहीं है और उस क्षेत्र को चीन ने बलपूर्वक अपने कब्जे में रखा हुआ है.

अब अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों को लेकर चीनी कम्युनिस्ट सरकार की हरकत के बाद भारत सरकार सहित अमेरिका ने भी चीनी कम्युनिस्ट सरकार को लताड़ लगाई है.

दरअसल, चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने अरुणाचल प्रदेश पर बुरी नजर डालते हुए प्रदेश के 11 क्षेत्रों के नाम बदल कर उसे चीनी नाम दे दिए. चीनी कम्युनिस्ट सरकार की इस हरकत के बाद भारत सरकार ने जमकर फटकार लगाई. अमेरिका ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी, अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है.

अमेरिका द्वारा बयान जारी कर कहा गया कि – हम मानते हैं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य अंग है और उसके क्षेत्रों का चीन की ओर से किसी भी तरह का नाम परिवर्तन करना पूरी तरह से गलत और निंदनीय है.

दरअसल, चीन इस क्षेत्र में लंबे समय से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है. जवाहरलाल नेहरू की सरकार के दौरान चीन ने अपनी कुछ गतिविधियों के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने की शुरुआत की थी.

हालांकि, वर्तमान सरकार ने जिस तरह से सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया है. उसके बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बौखलाई हुई है.

तिब्बत में वर्ष 1959 में अवैध रूप से कब्जा जमाने के बाद चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने भारत के अरुणाचल प्रदेश के हिस्से पर भी कब्जा करने की कोशिश की थी.

इसका एक कारण यह भी था कि जब तिब्बत पर चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने कब्जा किया, तब तिब्बती नागरिकों ने अरुणाचल प्रदेश के रास्ते ही भारत में शरण ली थी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से अपनी जान बचाई थी.

चीनी सरकार की हरकत का भारत सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से जवाब दिया गया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है कि चीन ने इस तरह की हरकत की है, हम इसे पूरी तरह से नकारते हैं. अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा था और रहेगा.

चीन इससे पहले वर्ष 2017 और 2021 में भी इसी तरह से नाम परिवर्तन करने की कोशिश कर चुका है. अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की मंशा हमेशा षड्यंत्रकारी रही है.

वर्ष 2021 में भी चीन की सीमा के समीप भारत में यूरेनियम के भंडार की खोज की गई थी. इस खोज के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र और अपने हल्के दर्जे की टिप्पणियों के लिए कुख्यात ग्लोबल टाइम्स ने तिलमिलाहट भरे रिपोर्ट बनाने शुरू कर दिए थे.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत की इस नई खोज के बाद लिखा – इस तरह के व्यवहार से भारत-चीन सीमा वार्ता को नुकसान पहुंचेगा.

सिर्फ इतना ही नहीं भारतीय मीडिया ने जिस तरह से इस क्षेत्र में यूरेनियम मिलने पर इसकी प्रशंसा की थी, उस पर भी चीनी मीडिया बौखलाया हुआ था.

भारत की तमाम सरकारें संसद और संसद के बाहर बार-बार यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न हिस्सा है. लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी पुरानी षड्यंत्रकारी रणनीति को अपनाए हुए है जो भारत विरोधी है.

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