जयपुर. महिला समन्वय अखिल भारतीय सह संयोजिका भाग्यश्री साठे ने कहा कि स्त्री शक्ति स्वरूपा है क्योंकि उसमें सृजन की क्षमता है. हमारी जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है, न कि पुरुष या स्त्री प्रधान. वे जयपुर के मानसरोवर स्थित दीप सभागार में आयोजित महिला महासम्मेलन ‘संवर्धिनी’ में संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में बहुत समय तक यह बहस चली कि स्त्री में आत्मा है या नहीं. इस भेदभाव के चलते स्त्री आंदोलन हुए, जिनमें बराबरी की मांग की गई. इस्लामिक आक्रमणों के दौरान भारतीय समाज में भी कई विकृतियां आईं. सती प्रथा, बाल विवाह, रात में विवाह, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि इसी के परिणाम हैं. लेकिन अब समय बदल चुका है. स्त्रियां हर क्षेत्र में बड़ी भूमिकाएं निभा रही हैं. पिपलांगी गांव में कन्या जन्म पर उत्सव मनाया जाता है. हर कन्या जन्म पर 1100 पेड़ लगाए जाते हैं. चंद्रयान प्रक्षेपण टीम में भी महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई है.
सत्र की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी सुमित्रा शर्मा ने की. कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. मंजु शर्मा ने रखी.
समापन सत्र में मुख्यवक्ता पुष्पा जांगिड़ ने कहा कि यह हमारा अमृतकाल है. यह नए संकल्पों के साथ उदीयमान भारत है. 2018 के एक सर्वे के अनुसार, ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में भारत की 78% महिलाओं के पास पैन कार्ड हैं. 90 प्रतिशथ महिलाओं के पास वोटर/ आधार कार्ड हैं. उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है. स्व का भाव जागृत हुआ है. वे शिक्षा से लेकर उद्योग हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं. लेकिन उनमें यह बदलाव अभी तक स्वयं व परिवार तक सीमित है. उन्हें समाज व देश के लिए अपनी भूमिका तय करनी होगी. सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुनीता गुप्ता ने की.
महासम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांधा. कलाकार कविता राय का शिव तांडव मंत्र मुग्ध करने वाला था. लोक नृत्य पधारो म्हारे देश राजस्थानी संस्कृति के भावों से ओत प्रोत था. मीरा बाई और रानी हाड़ा पर प्रस्तुत नाटिका अत्यंत प्रेरक व भाव विह्वल करने वाली थी.
महासम्मेलन में 2000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया. सभी के बीच सेल्फी प्वाइंट्स आकर्षण के केंद्र रहे.