जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की श्रेष्ठतम सभ्यताओं में से एक है. लेह लद्दाख की भूमि शिव पार्वती की भूमि है. जब ईसा को यूरोप ने नकार दिया तो उन्होंने भी इसी भूमि पर आकर ज्ञान प्राप्त किया. दुनिया को ज्ञान की आवश्यकता होती है तो वह भारत भूमि पर आते हैं. भारत के पर्वतों और भारत के वनों में आते हैं. दुनिया के अलग-अलग देशों में ईश्वर के दूत आए होंगे, किंतु ईश्वर स्वयं भारत की भूमि पर ही आए हैं.
इन्द्रेश कुमार शनिवार को जयपुर में सिंधु दर्शन यात्रा समिति की ओर से आयोजित सिंधु दर्शन महाकुंभ और होली मिलन समारोह में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि सिंधु दर्शन यात्रा 1997 में प्रारंभ हुई और यह वर्ष यात्रा का 25वां वर्ष है. यह यात्रा हिन्दू- बौद्ध धर्म के समन्वय का भी काम कर रही है. इस 25वीं यात्रा को सिंधु दर्शन महाकुंभ नाम दिया गया है.
उन्होंने कहा कि चीन ने डोकलाम में जब अपने सैनिक बैठाकर शरारत की तो भारत ने विरोध किया. चीन की ओर से युद्ध की चेतावनी दिए जाने पर हमारे नेतृत्व ने भी उसे मुंहतोड़ जवाब दिया. इसी प्रकार पुलवामा की घटना के बाद जब भारत ने बालाकोट की सर्जिकल स्ट्राइक की तो पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश दिया गया. हमने दुनिया को बता दिया कि दुनिया के तथाकथित विकसित देश भी भारत के सामने अब बोने हैं.
सिंधु दर्शन महाकुंभ पर पाकिस्तान, चीन और अनेक यूरोपीय देशों की दृष्टि है और इस महाकुंभ का नारा है – “लाहौर कराची के बिना हिंदुस्तान अधूरा है”. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचने के लिए पूरे विश्व को भारत ने सूत्र दिए. भारत ने सर्वाधिक प्रभावशाली वैक्सीन दी. यूरोप भोगवाद का चेहरा है, अरब हिंसा का चेहरा है और भारत मानवता का चेहरा है.
कार्यक्रम में वेदांती हरिशंकर महाराज और आचार्य राम कृष्ण महाराज सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी भी उपस्थित थे.