भोपाल. अशोक पांडेय ने कहा कि संघ प्रचारकों की श्रेष्ठ परिपाटी के गोपालराव येवतीकर जी अनुपम उदाहरण थे. कार्यकर्ताओं को कैसे जोड़ना है एवं उनका विकास करने के लिए किस तरह से कार्य करना है, यह उनकी प्राथमिकताओं में था. प्रचारक स्वयं कष्ट भोगकर समाज के हित में ही सुख की अनुभूति करते हैं, गोपालजी इसके उदाहरण थे. उनकी हर सांस संघ कार्य के लिए समर्पित थी. उनकी प्रेरक स्मृतियाँ हमेशा हमें प्रेरित करती रहेंगी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रान्त संघचालक अशोक पाण्डेय ने सोमवार को आनंद धाम वृद्धाश्रम में वरिष्ठ प्रचारक स्वर्गीय गोपालराव येवतीकर की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में संबोधित किया.
उन्होंने अपने संघ जीवन को याद करते हुए स्वर्गीय येवतीकर के साथ की स्मृतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि समाज सेवा, राष्ट्र और धर्म की सेवा में येवतीकर जी का जीवन समर्पित था. भले ही हम उनके भौतिक सान्निध्य से वंचित हो गए हैं, परंतु उनकी स्मृतियाँ हमें सदैव मार्गदर्शित करती रहेंगी.
मध्य क्षेत्र के सह क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध ने गोपालराव जी को याद करते हुए कहा कि उनका सभी के साथ सहज संपर्क था. अभी कुछ दिनों पहले मैं उनसे मिलने के लिए गया तो उन्होंने मुझे संघ के शताब्दी वर्ष में कार्य करने के लिए सौभाग्यशाली होना बताया. जब मैंने एक बार गोपालजी से पूछा था कि आप इतना घूमते हैं, तो क्या करते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मैं तुम्हारे जैसे कार्यकर्ताओं का काम कुछ आसान करने की कोशिश करता हूं. व्यस्तता के कारण तुम जिन घरों में जा नहीं पाते हो, या जिनके मन में कुछ असमंजस या असंतोष चल रहा होता है, उन्हें जान नहीं पाते. मैं ऐसे स्वयंसेवकों के घर जाकर बजते हुए बर्तनों को हाथ लगाकर शांत करने का काम करता हूं. ये बहुत मार्मिक बात है. संघ परिवार के सभी घरों में पहुंचकर उन्हें जोड़े रखने का कार्य गोपाल जी करते थे.
श्रद्धांलजि सभा में भारतीय मजदूर संघ, बजरंग दल, प्रज्ञा प्रवाह, आरोग्य भारती, राष्ट्रीय सिक्ख संगत, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, विवेकानंद केंद्र, भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अनेक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने स्वर्गीय गोपाल जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस अवसर पर बड़ी संख्या में भोपाल के प्रबुद्ध नागरिक भी उपस्थित रहे. 30 नवंबर को येवतीकर जी का 85 वर्ष की आयु में उज्जैन स्थित संघ कार्यालय में स्वर्गवास हो गया था. निष्काम कर्मयोगी राष्ट्र सेवारत अनथक साधक, संघ के प्रचारक के रूप में विभिन्न स्थानों पर उन्होंने राष्ट्र प्रेम की अलख जगाई.