नई दिल्ली. स्वच्छ भारत अभियान का प्रभाव प्रकृति पर दिखने लगा है. अभियान के कारण भूजल सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों में प्रदूषण का स्तर घटने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों को खुले में शौच मुक्त बनाने के उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं. अभियान से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, साथ ही जीवन बचाने में भी सफलता मिली है. यूनिसेफ सहित अन्य एजेंसियों के अध्ययन में परिणामों का विस्तार से वर्णन है. यूनिसेफ के अध्ययन में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के पर्यावरणीय प्रभाव और उनकी कम्युनिकेशन के प्रभावों का मूल्यांकन किया गया है.
यूनिसेफ की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन का वास्तविक प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ा है. दूषित होते भूजल के स्तर में सुधार हुआ है, व सतही जल का प्रदूषण भी घट रहा है. नित प्रदूषित होती मिट्टी और वायु सहित पर्यावरण के समस्त पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के स्वास्थ्य में सुधार आया है. गंदगी और दूषित जल से उत्पन्न होने वाली बीमारियों पर अंकुश लगा है.
देश में ग्रामीण स्वच्छता कवरेज शत प्रतिशत पहुंच चुका है. स्वच्छता मिशन अपने अंतिम चरण में हैं. 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर लिया है. मिशन अब इस प्रगति के फायदे को निरंतर बनाए रखने और ओडीएफ-प्लस को गति देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसमें ठोस और गीले कूड़े का प्रबंधन शामिल है.
मीडिया से बातचीत में केंद्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भूजल के प्रदूषण में कमी पूरा श्रेय स्वच्छ भारत को जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि भारत के ओडीएफ हो जाने से तीन लाख से अधिक लोगों की जिंदगी बचाने में सफलता मिली है. गेट्स फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों को जागरुक करने और स्वच्छता के प्रति आदतों में बदलाव के लिए 23 हजार करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है.