प्रयागराज.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धर्म परिवर्तन को लेकर शुक्रवार को महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया. न्यायालय ने कहा कि केवल शादी (विवाह) के लिए धर्म परिवर्तन करना वैध नहीं. नयायालय ने याचिका दायर करने वाले विपरीत धर्म के जोड़े की याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने की छूट दी. याचिकाकर्ता ने परिवार वालों को उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की मांग की थी. न्यायालय ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नूरजहां बेगम केस के फैसले का हवाला दिया, जिसमें न्यायालय ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है. इस केस में हिन्दू लड़की ने धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की थी. सवाल था कि क्या हिन्दू लड़की धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी कर सकती है और यह शादी वैध होगी.
न्यायालय ने कहा कि इस्लाम के बारे में बिना जाने और बिना आस्था विश्वास के धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है. न्यायालय ने कहा – ऐसा करना इस्लाम के भी खिलाफ है. न्यायालय ने मुस्लिम से हिन्दू बन शादी करने वाली याची को राहत देने से इंकार कर दिया. प्रियांशी उर्फ समरीन व अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी. जस्टिस एम.सी. त्रिपाठी की एकल पीठ ने ये अहम फैसला सुनाया.
उधर, न्यायालय के निर्णय के पश्चात उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि शादी-विवाह के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है, इसे मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. धर्म परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए सरकार भी निर्णय ले रही है कि लव जिहाद को सख्ती से रोकने का काम किया जाएगा.’
‘सरकार लव जिहाद को लेकर कानून बनाएगी. मैं उन लोगों को चेतावनी देता हूं जो पहचान छिपाते हैं और हमारी बहनों के सम्मान के साथ खेलते हैं, यदि आप अपने तरीकों को ठीक नहीं करते हैं तो आपका राम नाम सत्य यात्रा शुरू हो जाएगी.’