उत्तराखंड, गुजरात में यूसीसी पर कमेटी गठित करने के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में दी थी चुनौती, याचिका खारिज
नई दिल्ली. उत्तराखंड और गुजरात में समान नागरिक संहिता पर अध्ययन के लिए कमेटी बनाए जाने को सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनन सही माना है. सर्वोच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने समान नागरिक संहिता को लेकर गुजरात और उत्तराखंड में कमेटी गठित करने के निर्णय को चुनौती दी थी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसमें (समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी गठित करना) गलत क्या है? समान नागरिक संहिता को लागू करने से पहले उससे जुड़े हर पहलू पर विचार करने के लिए कमेटी गठित की गई है.
समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए गुजरात और उत्तराखंड में कमेटी गठित करने के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. याचिका पर सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को सुनवाई की. सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इसमें गलत क्या है? संविधान के अनुच्छेद आर्टिकल 162 के तहत राज्यों को कमेटी बनाने का अधिकार है. इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ गुजरात और उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने के हर पहलू पर विचार करने के लिए गठित कमेटी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.
उत्तराखंड सरकार ने 27 मई, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इस समिति को राज्य में समान नागरिक संहिता के अध्ययन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. समिति मई 2023 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है. उत्तराखंड इस मामले में ऐसा फैसला लेने वाला देश का पहला राज्य है. पिछले साल 29 अक्तूबर को गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के बारे में अध्ययन करने वाली समिति को बनाने का फैसला लिया था.
भाजपा के प्रमुख चुनावी मुद्दों में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 की समाप्ति के अलावा देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना शामिल रहा है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 समाप्त हो चुका है. अब यूसीसी का मुद्दा ही शेष रह गया है. देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए. धर्म के आधार पर अलग-अलग व्यवस्था नहीं होनी चाहिए. शादी, तलाक और संपत्ति जैसे मुद्दों पर एक जैसी व्यवस्था हो.