जयपुर. भारतीय किसान संघ की प्रतिनिधि सभा में कृषि व किसान के विषयों पर चिंता व्यक्त करते हुए तीन प्रस्ताव पारित किये गए. पारित प्रस्तावों के बारे में जानकारी देते हुये अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मिश्र ने बताया कि केंद्रीय प्रस्ताव कमेटी ने तीन प्रस्ताव तैयार कर प्रतिनिधि सभा में रखे. जिसे प्रतिनिधि सभा ने एकमतेन होकर पारित किया है. इन प्रस्तावों को केंद्र सरकार के पास उचित कार्यवाही के लिये भेजा जाएगा.
प्रस्ताव
1. अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के अवसर पर श्री अन्न के संबंध में पारित प्रस्ताव के माध्यम से मांग की गई कि मोटे अनाज के बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. श्री अन्न में पोषक तत्व दीर्घ अवधि तक सुरक्षित रहने के गुण को देखते हुए भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए. मोटे अनाजों का प्रसंस्करण व अनुसंधान भी हो. श्री अन्न की खेती के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो. ‘मध्यान्ह भोजन योजना’ में श्री अन्न को शामिल करने की मांग भी प्रस्ताव में कही गई है.
2. द्वितीय प्रस्ताव में कृषि अनुसंधान में सरकारी निवेश की आवश्यकता पर बल दिया गया. जिसमें कहा गया क़ि कृषि अनुसंधान की दिशा में लघु व सीमांत किसानों को लाभ देने के लिए उनके पास उपलब्ध संसाधनों का ध्यान रख उद्यमिता व स्वरोजगारोन्मुखी नीति बनाई जाए. कृषि में उच्च वृद्वि दर्ज करने के लिये अनुसंधान व तकनीकी विकास हेतु अनुसंधान बजट में पर्याप्त वृद्वि की जाए. भौगोलिक सूचक उत्कृष्ट क्षेत्र, जल, पशुपालन, फसल अवशेष एवं मूल्य सम्वर्धन तथा एकीकृत कृषि पद्धति पर आधारित शोध में संशोधन की आवश्यकता होनी चाहिये.
3. प्रतिनिधि सभा की बैठक में भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने तृतीय प्रस्ताव रखते हुये बताया कि ब्लैंडिंग के नाम पर मिलावट का कानूनी प्रावधान बंद हो. खाद्य तेलों में ब्लैंडिंग को पूर्ण समाप्त कर इस पर मिलावट के अपराध की धारा लागू की जाए. तिलहन उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये अच्छे दामों पर खरीद सुनिश्चित की जाए. तिलहन व खाद्य तेलों के आयात पर अधिकतम आयात शुल्क की दर लगाई जाए. पारित प्रस्ताव में तिलहन की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने की भी मांग की गई. जिससे किसान की उत्पादन लागत कम हो सके.
प्रतिनिधि सभा के समापन सत्र में अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि किसान गर्जना रैली दिल्ली से किसान संघ की प्रतिष्ठा व किसानों का विश्वास भारतीय किसान संघ पर बढ़ा है. किसानों की ताकत को समझकर सरकारों को किसानों की मांगों पर विचार कर निर्णय लेना चाहिये. सरकार के समक्ष रखी गई चार मांगें देश की कृषि व किसान की दशा व दिशा बदलने वाली थीं. केंद्र सरकार से देश का किसान इस दिशा में सकारात्मक कार्ययोजना निर्माण करने की उम्मीद कर रहा है. जैविक खेती व प्राकृतिक खेती के विषय पर फैल रहे भ्रम पर कहा कि गौ आधारित खेती करते हुए ही हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है. अलग से जैविक पदार्थों का निर्माण कर उपयोग करते हुये खेती करने की आवश्यकता नहीं है.
जीएम सरसों पर 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ प्रदर्शन करेगा किसान संघ
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने पत्रकार वार्ता में कहा कि सरसों उत्पादक राज्यों में जीएम सरसों के विरोध में भारतीय किसान संघ 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा. जीएम सरसों की अनुमति देश के किसानों, कृषि, पर्यावरण व नागरिकों के स्वास्थ्य के लिये खतरनाक है. पुरूष नपुंसकता के आधार पर तैयार बीज कैंसर पैदा करने वाला है. इसलिये इसकी अनुमति वापिस लेनी चाहिये.
किसान संघ की मांग पर केंद्रीय कृषि लागत व मूल्य आयोग की बैठक फरवरी में
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री ने प्रतिनिधि सभा में जानकारी दी कि दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में किसान संघ ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन के माध्यम से सरकार के सामने चार मांगें रखी थीं. जिनमें लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग, कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त करने, किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी करने व जीएम सरसों की अनुमति वापिस लेना आदि प्रमुख थीं. लागत आधारित लाभकारी मूल्य की मांग पर कार्यवाही करते हुए केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन संस्था कृषि लागत व मूल्य आयोग ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक फरवरी में आयोजित करने निर्णय लिया है. पत्र के माध्यम से भारतीय किसान संघ को भी अपने दो प्रतिनिधि भेजने के लिये कहा गया है.
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