जम्मू.
राज्य में एक दशक बाद हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण में जनता ने उत्साह दिखाया. पहले चरण में सात जिलों की 24 सीटों पर 61.13% मतदान हुआ. पूरे मतदान के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. चुनाव आयोग के अनुसार, किश्तवाड़ में सबसे अधिक 80.14% और पुलवामा में सबसे कम 46.65% मतदान दर्ज किया गया. विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 7.14 लाख मतदाताओं ने 219 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया. चिनाब घाटी के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों में कड़ी सुरक्षा के बीच 1,328 मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखने को मिलीं. पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कई हरित मतदान केंद्र भी बनाए गए थे.
देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 35 हजार से अधिक कश्मीरी पंडितों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया. विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए जम्मू में 19, दिल्ली में 4 और उधमपुर में 1 विशेष बूथ बनाए गए थे. यह चुनाव अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के पश्चात पहली बार हो रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के लोगों ने आतंकवाद और हिंसा को दरकिनार करते हुए शांति और सौहार्द का संदेश दिया. किश्तवाड़ जिले में सबसे अधिक उत्साह दिखाते हुए 80.14% मतदान हुआ. यहां सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगी रहीं. पुलवामा में 46.65% मतदान दर्ज किया गया, जो इस जिले में पिछले सात चुनावों का रिकॉर्ड तोड़ने वाला है.
अनंतनाग में 57.84%, डोडा में 71.34%, कुलगाम में 62.46%, रामबन में 70.55%, और शोपियां में 55.96% मतदान हुआ. कश्मीर के चार जिलों में 2014 की तुलना में 2.50% की वृद्धि देखी गई, जबकि जम्मू संभाग में 0.35% कम मतदान हुआ. विशेष रूप से जमात के प्रभाव वाले पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई, जबकि पीडीपी के गढ़ अनंतनाग में मतदान प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई.
चुनाव आयोग ने मतदान के प्रति जनता के उत्साह की प्रशंसा की और इसे बहिष्कार और हिंसा के खिलाफ उनके बुलंद हौसलों का प्रतीक बताया. कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं ने भी जम्मू, उधमपुर और दिल्ली के विशेष बूथों पर अपने मताधिकार का उपयोग किया. इन बूथों पर 85 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं और दिव्यांगों को भी घर से मतदान की सुविधा प्रदान की गई थी.
पहले चरण में कुल 219 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 9 महिलाएं शामिल थीं. इसके साथ ही 90 निर्दलीय उम्मीदवारों की किस्मत भी EVM में कैद हो गई. मतदान में युवाओं और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था और विश्वास का प्रतीक बना. विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम की 16 सीटों पर मतदान किया. दूसरे और तीसरे चरण के लिए मतदान क्रमशः 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा, जबकि मतगणना 8 अक्तूबर को होगी.