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गोंडवाना के जननायक – श्रद्धेय प्रेमसिंह मार्को जी

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भोपाल (विसंकें). अविभाज्य मंडला जिले में वनवासी कार्यकर्ता रूप में अगर सर्वप्रथम किसी का नाम लिया जाए तो वे हैं श्रद्धेय म सिंह मार्को जी.

आ.भा.व. कल्याण आश्रम का छतीसगढ़ को अलग करके सन् 1992 में जो नूतन महाकौशल प्रान्त गठित हुआ, उसके संस्थापक अध्यक्ष रहे प्रेम सिंह जी ने लगभग सन् 2005 तक प्रांताध्यक्ष का दायित्व निर्वहन किया. नब्बे के दशक से ही अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में वर्षों तक सक्रिय रहे. न केवल गोंड जनजाति और गोंडवाना की विभिन्न समस्याओं पर, बल्कि मध्यप्रदेश की जनजाति क्षेत्र की हर समस्या के समाधान के अनेक सुझावों के साथ हर अखिल भारतीय बैठक में उनकी आवाज सुनने को मिलती थी.

पूर्वी मंडला जो आज कल शासकीय एवं सांगठनिक दृष्टि से डिंडोरी जिला है, उसके अंतर्गत बैगा चाक के क्षेत्र में कार्य को सघनता से फैलाने में उनकी भूमिका अनन्य और अतुलनीय है. उन्होंने मंडला जिला एवं मंडला विभाग के संघचालक का दायित्व निर्वहन किया. बैगा चाक के core area के ग्रामों में संघ की शाखाएं चलाने के साथ-साथ गांव में आज कई संघ शिक्षा वर्ग शिक्षित कार्यकर्ता उपलब्ध हैं. कल्याण आश्रम के साथ अन्य अनुषांगिक संगठनों के एकल विद्यालय से लेकर स्वास्थ्य रक्षक व आर्थिक विकास प्रकल्प तक सभी के प्रारंभ उनके सहभागिता से ही हुआ.

विभाग में 1993-94 में जनजाति कन्याओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था करने हेतु कल्याण आश्रम के कन्या छात्रावास हेतु लगभग ढाई एकड़ भूमि गृह ग्राम मोहती में उपलब्ध करवाई. तुलसाबाई कन्या आश्रम के माध्यम से गांव चतुस्पार्श्व में स्थित बैगा, भारिया, अगरिया, कोल और गोंड जनजाति की कन्याएं उपकृत हुईं. मार्को जी के कारण ही उस कन्या आश्रम के माध्यम से विश्व की सर्व प्राचीन हिन्दू जनजाति बैगाओं के सघन क्षेत्र चाड़ा, जल्दा, बौना आदि बैगाचक के गांव से कन्याएं उच्चत्तर माध्यमिक शिक्षा के उपरांत अपने परिबार संगठन में कार्यकर्ता बनीं हैं.

देश में वनवासी खेती मजदूर की संख्या अत्यंत ज्यादा है, और ये लोग अंतरराज्य जाकर कार्य करते रहते हैं, जो असंगठित होने से अन्यों से अपेक्षानुसार ज्यादा अवहेलित तथा असुरक्षित है. इसे ध्यान में रखकर अपने विचार परिवार के वरिष्ठ चिंतक दत्तोपंत ठेंगड़ी, भास्कर राव जी,  सुदर्शन जी और कृष्णराव सप्रे जी के चिंतन मंथन से अखिल भारतीय वनवासी खेती मजदूर संघ की स्थापना का मार्ग निकला. सांगठनिक आवश्यकता को देखते हुए कल्याण आश्रम से मार्को जी की मांग हुई. और कल्याण आश्रम मार्को जी को उस संगठन के कार्य हेतु प्रेरित किया. वे संगठन को कार्यकर्ताओं के सहयोग से शैशवावस्था से यौवनास्था तक पहुंचाने में सिद्ध हुए.

स्थानीय पंचायती राज व्यवस्था में मोहती ग्राम पंचायत के 15 वर्षों तक सरपंच रहे. उनकी सुपुत्री सविता जनपद पंचायत के अध्यक्ष चुनी गई हैं. मार्को जी के प्रयास और प्रेरणा से उनका एक सुपुत्र MBBS डॉक्टर है.

लगभग एक वर्ष पहले उन्हें पक्षाघात होने से शय्याशायी हो गए थे. उसके बाद उनके स्वास्थ्य में सामान्य सुधार हुआ. रविवार 30 अगस्त, 2020 (प्रकृति वंदन दिवस) को उन्हें पुनः पक्षाघात हुआ, और  रात्रि 8.30 बजे वे देवलोकगमन कर गए. प्रेम सिंह मार्को जी को वन स्वर और कृष्णराव शोध संस्थान की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि.

ऊं शांतिः शांतिः शांतिः

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