5000 से अधिक छात्रों ने करवाया रजिस्ट्रेशन, अच्छे अंकों के लिए प्रदर्शन में शामिल होते हैं छात्र
नई दिल्ली. जेएनयू के मांडवी छात्रावास में रहने वाले छात्र सूरज कुमार पर पांच जनवरी की शाम को 30 से अधिक उपद्रवियों ने हॉस्टल में घुसकर हमला किया था. इस दौरान उसने किसी तरह छुपकर अपनी जान बचाई थी. सूरज का आरोप है कि उसने परीक्षाएं रोकने के विरोध में कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसके विरोध में वामपंथी संगठन के छात्र उसे पीटने के लिए छात्रावास आए थे. उसे पीटने के लिए आई भीड़ उसके कमरे के बाहर चिल्ला रही थी कि यही है संघी का कमरा.
सूरज ने बताया कि वह सेंटर फॉर कोरियन स्टडी के तीसरे वर्ष का छात्र है. सूरज ने अंतर्राष्ट्रीय स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया है, जिसमें उन्हें 31 जनवरी तक अपना परीक्षा परिणाम जमा करना है. लेकिन पिछले 80 दिनों से विवि में काम बाधित है, जिसके लिए उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट से मामले में दखल देने की अपील की थी.
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्वयं हस्तक्षेप से इंकार करते हुए जेएनयू वीसी से जल्द गतिरोध दूर करने के लिए कहा था. इसी बात को लेकर जेएनयू में प्रोफेसर आयशा किदवई लगातार सोशल मीडिया पर उसे टारगेट कर रही थीं. उन्होंने इसको लेकर फेसबुक पर कई पोस्ट भी किए हैं.
बेहतर परीक्षा परिणामों के लिए हो रहा प्रदर्शन
छात्र का आरोप है कि विवि में पढ़ने वाले छात्र बेहतर परीक्षा परिणामों के लिए ऐसे प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं. क्योंकि, जेएनयू में होने वाली परीक्षाओं में प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन जेएनयू के प्रोफेसर ही करते हैं. इस तरह का आरोप लगाने वाले सूरज अकेले छात्र नहीं हैं.
परीक्षा में बेहतर अंक पाने के लिए करना पड़ता है प्रदर्शन
जेएनयू में ही पढ़ने वाले छात्र शिवम चौरसिया ने बताया कि कई छात्र-छात्राएं प्रदर्शनों में इसलिए शामिल हो जाते हैं कि उन्हें परीक्षा में बेहतर अंक मिल सकें. छात्रों के आरोपों से सहमति जताते हुए संस्कृत विभाग के प्रोफेसर हरीराम मिश्रा ने कहा कि स्वमूल्यांकन की पद्धति को अब बदलना चाहिए. जेएनयू के छात्रों की भी उत्तर पुस्तिकाएं बाहरी प्रोफेसर द्वारा मूल्यांकित की जानी चाहिए.
प्रोफेसर ने कहा
टीचर्स एसोसिएशन, छात्र संघ के पिछलग्गू की तरह काम कर रहा है. कुछ छात्रों की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अन्य छात्रों को प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हैं. एसोसिएशन का काम टीचर्स की समस्याओं को विवि प्रशासन के सामने उठाने का है न कि विवि छात्रसंघ के पिछलग्गू बनने का. एसोसिएशन को टीचर्स के प्रमोशन, पेंशन, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, ना कि कुछ छात्रों की क्षुद्र महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देना चाहिए. शिक्षकों को कक्षाओं में अध्ययन और अध्यापन के काम में जोर देना चाहिए, जिसके लिए विवि जाना जाता है. – प्रोफेसर हरीराम मिश्रा, संस्कृत विभाग
छात्र का पक्ष
शिक्षकों से परीक्षा में अच्छे अंक और कई बार पढ़ाई में सहयोग के लिए छात्र शिक्षकों के कहने पर प्रदर्शन में हिस्सा लेते हैं. पांच हजार से ज्यादा छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया, जिससे स्पष्ट है कि छात्र पढ़ना चाहते हैं. पर, कुछ लोगों के दबाव में वह प्रदर्शन कर रहे हैं. – उमेश कुमार, शोध छात्र
साभार – दैनिक जागरण