कहा, एसोसिएशन ने बनाया ‘आजादी ब्रिगेड’ का केंद्र
नई दिल्ली. जेएनयू में शिक्षकों के मध्य भी मतभेद सामने आ गए हैं. वीरवार को विश्वविद्यालय के 113 शिक्षकों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे स्वयं को जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन (JNUTA) से अलग कर रहे हैं. साथ ही स्वयं को JNUTA के प्रत्येक प्रस्ताव व बयान से भी अलग करते हैं.
एसोसिएशन से अलग हुए शिक्षकों का कहना है कि JNUTA प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं को तो अपना समर्थन दे रहा है, लेकिन जिन शिक्षकों को स्टूडेंट्स ने कुछ दिन पहले बंधक बनाया था या उनके व उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया था, उसके खिलाफ एसोसिएशन ने कोई कार्रवाई तो दूर, निंदा तक नहीं की.
एसोसिएशन से स्वयं को अलग करने वाले शिक्षकों ने इस संबंध में पत्र जारी किया है. पत्र में वार्डन और उनके घर, परिवार, बच्चों पर देर रात हुए हमले का हवाला दिया गया है. साथ ही महिला प्रोफेसर और डीन पर हुए हमले का भी पत्र में जिक्र है.
इन शिक्षकों का यह भी कहना है कि प्रदर्शन के कारण जेएनयू से जुड़े लोग परेशान हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेएनयू प्रोफेसर डॉ. अश्विनी मोहपात्रा ने बताया कि JNUTA से अलग होने की घोषणा करपने वाले पत्र पर अभी तक 113 शिक्षकों ने हस्ताक्षर किये हैं, उन्हें आशा है कि जल्द ही पत्र पर 150 से अधिक शिक्षक हस्ताक्षर कर देंगे. अभी JNUTA के 584 शिक्षक सदस्य हैं.
प्रोफेसर डॉ. अश्विनी मोहपात्रा ने ट्वीट करके जेएनयू की वर्तमान स्थिति का मुख्य कारण JNUTA को बताया है. उनके अनुसार वामपंथियों की टोली ने जेएनयू को आजादी ब्रिगेड का केंद्र बना दिया है.