नई दिल्ली. पेरिस पैरालंपिक में पैरा एथलीट धरमबीर ने पुरुष क्लब थ्रो एफ51 के फाइनल में 34.92 मीटर के थ्रो के साथ नया एशियाई रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता. एफ51 श्रेणी में अंग विकृति, पैर की लंबाई में अंतर, कमजोर मांसपेशियों और कम गतिशीलता वाले एथलीट शामिल थे. भारत ने पहली बार पैरालंपिक खेलों की क्लब थ्रो स्पर्धा में पदक जीता है. उनके साथ ही प्रणव सूरमा ने रजत पदक जीत कर देश को गौरवान्वित किया.
18 जनवरी, 1989 को हरियाणा के सोनीपत में जन्मे धरमबीर के साथ एक दुर्घटना हुई, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी. गाँव में एक नहर में गोता लगाते समय, वह पानी की गहराई का गलत अनुमान लगा बैठे और नीचे पत्थरों से टकरा गए. इससे कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया.
वर्ष 2014 में, धरमबीर ने पैरा-स्पोर्ट्स में हाथ आजमाना शुरू किया और इससे उनके जीवन में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई. उन्होंने पैरा-एथलीट अमित कुमार सरोहा के मार्गदर्शन में क्लब थ्रो का प्रशिक्षण शुरू किया. कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर, धर्मबीर ने अपनी पहचान कायम की. उन्होंने दो साल से भी कम अवधि में वर्ष 2016 में रियो पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया.
धरमबीर को खेलों में उत्कृष्ट योगदान के लिए साल 2022 में हरियाणा सरकार की ओर से सर्वोच्च खेल सम्मान ‘भीम पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया. उनकी प्रेरणादायक यात्रा उनकी क्षमता, दृढ़ संकल्प और जीवन को बदलने में पैरा-खेलों की शक्ति का प्रमाण है.
उपलब्धियाँ
पैरा-एथलेटिक्स में धरमबीर का प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड उनकी प्रतिभा का स्पष्ट प्रमाण है. पहली बार साल 2018 एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक जीता, 2022 के संस्करण में एक और रजत पदक जीता. धरमबीर ने 2024 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर सिलसिले को जारी रखा. पेरिस पैरालंपिक 2024 में स्वर्ण पदक जीत कर देश का मान बढ़ाया है.
एक ही झटके में ज़िंदगी की दिशा बदलने वाली दुर्घटना से लेकर पेरिस पैरालंपिक 2024 में पुरुषों की क्लब थ्रो एफ51 स्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक जीतने तक का धरमबीर का सफ़र खेलों के प्रति उनके जूनून और धैर्य की अनूठी मिसाल है. भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता और कठोर प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप हासिल की गयी धरमबीर की सफलता भारत के पैरालंपिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. खेल जगत में उनकी सफलता अन्य लोगों को भी तमाम चुनौतियों का सामना कर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है.