ग्वालियर शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर गिरगांव में भगवान महादेव का 1000 साल पुराना दिव्य मंदिर है. जहां भगवान महादेव एक देवता ही नहीं, बल्कि न्यायमूर्ति महादेव के रूप में विराजे हैं. इस मंदिर की विशेषता है कि शिवरात्रि पर महादेव की अदालत लगती है. भगवान भोलेनाथ स्वयं लोगों के मामले सुनते हैं और उन पर निर्णय भी सुनाते हैं. इस निर्णय के खिलाफ कोई भी नहीं जाता. इतना ही नहीं पूरा गांव और आसपास के राज्यों से आने वाले लोग महादेव के निर्णय को मानते हैं. लोगों का मानना है कि महादेव का निर्णय ही आखिरी होता है.
यहां महादेव की कचहरी लगती है. यहां पंच बैठते हैं और मामलों को सुना जाता है. दोनों पक्षों द्वारा दलीलें प्रस्तुत की जाती हैं. आखिर में भगवान महादेव न्यायमूर्ति बनकर अपना फैसला सुनाते हैं. महादेव की ओर से पंचों द्वारा सुनाया गया निर्णय ही लोगों के लिए आखिरी होता है. मंदिर की मान्यता ऐसी है कि इस निर्णय के बाद कभी कोई कहीं अपील नहीं करता है.
मंदिर से जुड़े लोग और ग्रामीण बताते हैं कि यहां सोमवार को भव्य पूजा की जाती है और महादेव की अदालत लगती है. कोई भी व्यक्ति जब भी चाहे महादेव की कचहरी में अपील कर सकता है.
बताया जाता है कि लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था बहुत गहरी है, इसलिए लोग अपने झगड़े लेकर महादेव के पास आते हैं. यहां अभी तक महादेव 1000 से ज्यादा फैसले सुना चुके हैं. हर महाशिवरात्रि को यहां बड़ी अदालत लगती है और भारी संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं.
यहां सिर्फ प्रदेश के ही नहीं, बल्कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात से भी लोग महादेव की अदालत में अपने मामले लेकर आते हैं.
महादेव की अदालत में ऐसे मामले अधिक आते हैं, जिसके किसी पक्ष को दूसरे पक्ष पर हत्या, चोरी, षड्यंत्र का शक हो. महादेव की कसम खाने के बाद लोगों को उनकी बात पर यकीन हो जाता है. आजकल पारिवारिक क्लेश और ऐसे मामले में काफी संख्या में आ रहे हैं.