छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर की इन्क्यूबेटेड कंपनी ‘भारत टेक’ ने भारत सर्च नाम से अत्याधुनिक स्वदेशी सर्च इंजन तैयार किया है. दावा है कि यह उपभोक्ताओं को बेहतर डाउनलोड व अपलोड की सुविधा मुहैया कराएगा. जिस प्रकार गूगल ‘स्पाइडर’ एल्गोरिदम (कलन विधि) से विभिन्न प्लेटफार्म पर मौजूद विषय वस्तु को अपने प्लेटफार्म पर लाता है, उसी तरह भारत सर्च ने ‘रैट’ एल्गोरिदम तैयार किया है. विश्वविद्यालय के सहयोग से कंपनी के निदेशक दो महीने के भीतर विभिन्न एप्लीकेशन के साथ सर्च इंजन इंटरनेट पर लॉंच करेंगे.
विश्व में गूगल सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला सर्च इंजन है. हालांकि, चीन और रूस जैसे देश स्वदेशी सर्च इंजन का प्रयोग करते हैं.
तुषार त्रिवेदी ने सीएसजेएमयू से पिछले वर्ष भूगोल विषय के साथ स्नातक किया. इससे पूर्व तीन वर्ष तक एचबीटीयू से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की. तुषार ने बताया कि बीए करने के दौरान ही उन्होंने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत टेक नाम से कंपनी तैयार की थी, ताकि देश में ही निर्मित सर्च इंजन और वेब ब्राउजर के साथ ही इंटरनेट की दुनिया में लोगों को नया विकल्प दिया जा सके. दो वर्ष मेहनत के बाद भारत सर्च नाम से स्वदेशी सर्च इंजन बनाया. यह सर्च इंजन आसानी से उपलब्ध होगा और अच्छे यूजर इंटरफेस के साथ ही तेज डाउनलोड व अपलोड करने की सुविधा देगा.
सर्च इंजन के साथ ही उन्होंने विश्व का नक्शा देखने के लिए बी-मैप्स, ईमेल भेजने को बी-मेल, ऑनलाइन मीटिंग व डेटा शेयरिंग के लिए यूनियन, बच्चों को पढ़ाई में सहूलियत देने के लिए बी-बुक, यू-ट्यूब की तर्ज पर लर्न नाऊ एप्लीकेशन, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के तौर पर कूबर और ऑनलाइन शॉपिंग के लिए परचून वाले डॉट कॉम नाम से एप्लीकेशन तैयार किए हैं. वह ट्रायो नाम से वेब ब्राउजर भी विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं. विवि के इनोवेशन अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि छात्रों की मदद की जा रही है, ताकि स्वदेशी सर्च इंजन जल्द लॉंच हो सके.
कंपनी ने हाल ही में अपनी वेबसाइट ‘भारत-टेक डॉट काम’ को लॉंच कर दिया है. वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करके कोई भी शख्स कंपनी से जुड़ सकता है. जब सर्च इंजन लांच होगा तो कंपनी को रन कराने के लिए जनशक्ति की जरूरत होगी. ऐसे में नौकरियों के विकल्प भी खुलेंगे.
एल्गोरिदम : जब किसी चीज को सर्च करते हैं तो इसके माध्यम से रिक्वेस्ट जाती है. डाटा बेस में रिजल्ट सेव होता है. गूगल ने एंगुलर एल्गोरिदम पर काम किया है. स्वदेशी सर्च इंजन में पायथन और जैंगों का संयुक्त इस्तेमाल कर इसे रैट एल्गोरिदम नाम दिया गया है.
आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस को कुशलतापूर्वक कार्य के संचालन के लिहाज से दो श्रेणियों एप्लाइड और जनरल में बांटा जा सकता है. एप्लाइड के दायरे में ट्रेड स्टाक, शेयर और स्वचालित गाड़ियां आदि आती हैं. वहीं, जनरल में एडवांस टेक्नोलाजी का क्षेत्र दायरे में है. इसके जरिए मशीनों तक डाटा की पहुंच इस तरह कराई जाती है कि वे इंसानी कार्यों को ज्यादा से ज्यादा करने में सक्षम हो सकें.