नई दिल्ली. प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार-2021 के लिए चयन समिति ने विल्लुपुरम (तमिलनाडु) निवासी कार्तिकेयन गणेशन के नाम को स्वीकृति दी है. उन्होंने बौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांग जनों को जीने, सीखने, काम करने और आय उत्पन्न करने का अवसर देने के लिए काम किया है. उन्होंने दिव्यांगजनों को जैविक खेती और वयस्क स्वतंत्र जीवन प्रशिक्षण के माध्यम से अपने आत्म विकास की पूरी क्षमता तक पहुँचने का सुअवसर प्रदान किया है. जबलपुर में होने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 67वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा.
विल्लुपुरम (तमिलनाडु) के मूल निवासी कार्तिकेयन गणेशन को अनाथालय में काम करते हुए ज्ञात हुआ कि भारत में बौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांगजनों की संख्या 16 लाख है (जनगणना 2011). जिनमें से लगभग 75% ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. कम रोजगार दर और उच्च जीवन व्यय के साथ, वे भारत के सबसे गरीब समूहों में से एक हैं. इस दयनीय स्थिति को बदलने का संकल्प कार्तिकेयन ने लिया और सृष्टि फाउंडेशन का जन्म हुआ. वर्ष 2013 में कार्तिकेयन ने सृष्टि विलेज फाउंडेशन बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन खरीदी. उस समय, भूमि अनुपजाऊ और बंजर थी. तब से, समुदाय के सदस्यों के अथक परिश्रम से वर्तमान समय में उपजाऊ भूमि में बदल दिया गया है जो विविध क्षमताओं वाले लोगों द्वारा प्रबंधित कई पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाओं का केंद्र है. कार्तिकेयन ने 10 एकड़ भूमि पर एक समावेशी और समग्र वातावरण बनाया है, जिसे सृष्टि गांव कहा जाता है.
सृष्टि फाउंडेशन तीन अग्रणी परियोजनाएं चलाता है – सृष्टि गांव, सृष्टि विशेष विद्यालय और सृष्टि फार्म अकादमी. इसके साथ कई सामुदायिक समर्थन और पर्यावरण परियोजनाओं को भी सृष्टि द्वारा संचालित किया जाता है. सृष्टि ग्राम समुदाय मॉडल के माध्यम से, बौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांग जन वयस्क स्वतंत्र जीवन कौशल और नौकरी कौशल को अनुभवात्मक तरीके से सीखते हैं. यह उन्हें मुख्यधारा के समाज में एक स्वतंत्र जीवन जीने में मदद करता है.
यह पुरस्कार वर्ष 1991 से प्रा. यशवंतराव केलकर की स्मृति में दिया जाता है, जिन्हें संगठन का शिल्पकार कहा जाता है और संगठन विस्तार में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है. यह पुरस्कार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विद्यार्थी निधि न्यास की एक संयुक्त पहल है, जो छात्रों की बेहतरी और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.
पुरस्कार का उद्देश्य युवा सामाजिक उद्यमियों के काम को प्रोत्साहित करना और ऐसे सामाजिक उद्यमियों के प्रति युवाओं का आभार व्यक्त करना तथा युवा भारतीयों को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करना है. पुरस्कार में ₹ 1,00,000/- की राशि, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह समाविष्ट हैं.
एबीवीपी के अ. भा. अध्यक्ष प्रो छगनभाई पटेल और महामंत्री निधि त्रिपाठी ने पुरस्कार विजेता को बधाई दी और उनके उद्देश्य सफलता की कामना की.