केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को मलयालम समाचार चैनल MediaOne के प्रसारण लाइसेंस को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा.
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की खंडपीठ ने इस संबंध में उच्च न्यायालय के एकल-न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा और चैनल द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया.
अपीलकर्ता-चैनल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और एस श्रीकुमार अधिवक्ता हारिस बीरन द्वारा प्रस्तुत किया गया. प्रतिवादी भारत सरकार का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी और सहायक सॉलिसिटर जनरल एस मनु ने किया.
8 फरवरी को, एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति नागरेश ने मलयालम चैनल के लाइसेंस को रद्द करने के सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आई एंड बी मंत्रालय) के फैसले को बरकरार रखा था. न्यायालय ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी गई सामग्री से संकेत मिलता है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) के पास चैनल को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने का पर्याप्त कारण है, जिससे प्रतिबंध को सही ठहराया जा सकता है.
उक्त आदेश के खिलाफ अपील में आरोप लगाया गया कि चैनल के लाइसेंस को रद्द करने की केंद्र सरकार की जल्दबाजी ने संकेत दिया कि चैनल के खिलाफ कुछ दुर्भावना से प्रेरित पूर्व-निर्धारित एजेंडा था.
31 जनवरी को, चैनल को बंद कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने I&B मंत्रालय के आदेश के संचालन को दो दिनों के लिए और फिर 7 फरवरी तक के लिए स्थगित करने का निर्णय दिया था. 8 फरवरी को न्यायालय ने मामले में निर्णय सुनाया था.