राजस्थान के झुंझुनूं जिले के भोड़की गांव में स्थित गोशाला (श्री जमवाय ज्योति गोशाला) में 28 लखपति गायें रहती हैं. सुनने में भले ही विचित्र लगे परन्तु यह सच है. गो-संरक्षण की दृष्टि से एक नई पहल का आरंभ भोड़की गांव से हुआ है. 2015 में आपसी सहयोग से वहां गोशाला बनी. गोशाला समिति ने गायों को गोद लेने की एक नई परम्परा शुरु की. जिस गाय को कोई व्यक्ति गोद लेता है, उसका एक नाम (सीता, गीता, मोहना आदि) रख कर उसके नाम से बैंक में एक लाख रुपयों की एफडी करवाता है. अब तक 28 गायों को गोद लिया जा चुका है. गोशाला में गायों की सेवा के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, जिनसे प्रतिमाह लगभग 2 लाख रुपयों की प्राप्ति होती है, जिससे गायों के लिए चारे आदि की व्यवस्था की जाती है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी लगभग एक हजार गायें गोशाला में हैं. दो बीघा जमीन पर गोशाला शुरू हुई थी. लोगों ने गोशाला को अपनी जमीन दान की. वर्तमान में गोशाला के पास 60 बीघा से अधिक जमीन है. यहाँ गायों की देखरेख 18-20 गो सेवकों के जिम्मे है. गायों के इलाज के लिए वहां एक अस्पताल बनवाया जा रहा है. गोशाला में प्रतिदिन लगभग सौ लीटर दूध निकाला जाता है तथा घी का निर्माण होता है. गोशाला परिसर में ही जैविक खाद बनाने का संयंत्र लगाया गया है, जहां पर गोबर से केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) तैयार होती है. गोशाला में एक शिशु-उद्यान तैयार किया गया है, जहां बच्चे मौज-मस्ती करते हैं, साथ ही वे गोशाला तथा गायों के संसार से भी परिचित होते हैं.
भोड़की की ‘श्री जमवाय ज्योति गोशाला’ से देश भर के गो-सेवक तथा गोशालाओं के कार्यकर्ता प्रेरणा लेकर ऐसी ही योजनाएं बनाएंगे तो गो-संवर्धन के कार्य को अवश्य गति मिलेगी.