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नई दिल्ली। पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी मानहानि मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से राज्यसभा सांसद साकेत गोखले के वेतन का एक हिस्सा कुर्क करने के निर्देश जारी किया। गोखले ने अपमानजनक बयानों के लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान करने और माफी मांगने के न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया।
पुरी, ने गोखले पर मानहानि का मुकदमा किया था, क्योंकि गोखले ने आरोप लगाया था कि उन्होंने स्विट्जरलैंड में अपनी संपत्ति से अधिक संपत्ति खरीदी है।
01 जुलाई, 2024 को, उच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि गोखले ने पुरी के खिलाफ “गलत, झूठे और असत्य” आरोप लगाए थे। न्यायालय ने गोखले को हर्जाने के रूप में ₹50 लाख का भुगतान करने और एक समाचार पत्र व अपने एक्स हैंडल पर बयानों के लिए माफ़ी मांगने का आदेश दिया था।
हालांकि, गोखले ने अभी तक माफ़ी नहीं मांगी है। इसलिए, पुरी ने एकल न्यायाधीश के जुलाई 2024 के फैसले को लागू करने के लिए उच्च न्यायालय से निर्देश देने की मांग की।
इससे पहले, न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने सवाल उठाया था कि जुलाई 2024 के फैसले पर रोक न होने के बावजूद उन्होंने आज तक माफ़ी क्यों नहीं मांगी।
न्यायालय ने सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 60 (आई) के तहत वेतन कुर्क करने का आदेश दिया, जिसके अनुसार न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन के लिए 1,000 रुपये तक का वेतन तथा शेष राशि का दो तिहाई हिस्सा कुर्क किया जा सकता है।
मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी।