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सनातन को समझने महाकुम्भ में कल्पवास करेंगी लॉरेन पावेल जॉब्स; सनातन की राह अपना रहे विदेशी

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महाकुम्भ नगर, प्रयागराज।

धर्म, संस्कृति, और आस्था का महासंगम प्रयागराज महाकुम्भ 2025 इस बार देशव्यापी ही नहीं, बल्कि विश्वव्यापी बन चुका है। सनातन धर्म की आस्था का महाकुम्भ देखने को मिल रहा है। प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ को लेकर देश भर में ही नहीं, विदेशों में भी उत्साह है। सनातन धर्मी अथवा भारत की संस्कृति में विश्वास रखने वाले लोगों के साथ ही पश्चिमी देशों के लोग भी आत्मिक शांति के लिए संगम में डुबकी लगाने को आतुर हैं।

इनमें से एक चर्चित नाम है एप्पल के संस्थापक की पत्नी लॉरेन पावेल जॉब्स का, जो महाकुम्भ में कल्पवास करने आ रही हैं। लॉरेन पॉवेल जॉब्स कल्पवास के दौरान संगम में आस्था की डुबकी लगाने के साथ सनातन परम्परा को भी समझेंगी। अमेरिका के राजनीतिक एवं सामाजिक अभियानों का हिस्सा रह चुकी जॉब्स का आगमन महाकुम्भ के पहले दिन होगा। वे 19 जनवरी से कैलाशानन्द जी महाराज के शिविर में प्रारम्भ होने वाली कथा की पहली यजमान भी होंगी। लॉरेन पावेल जॉब्स 29 जनवरी तक महाकुम्भ के विभिन्न आयोजनों में सम्मिलित होंगी।

इसके अतिरिक्त विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन में सम्मिलित होने के लिए शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सेवा, कला-संस्कृति एवं निराश्रितों की देखरेख में सहयोग करने वाले इंफोसिस फाउण्डेशन के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधामूर्ति भी प्रवास करेंगी।

सनातन की राह अपना रहे विदेशी

आस्था के महापर्व महिला ऐसी है कि विदेशी अपनी संस्कृति त्याग सनातन की राह अपना रहे हैं। श्री पंच दशनाम शंभू अटल अखाड़े से जुड़ीं इटली की एंजेला अब अंजना गिरि (55) प्रयागराज आ गई हैं। 14 साल की उम्र में मां के कपड़ों के बीच से मिली हठयोग की किताब ने उनका जीवन ही बदल दिया।

उन्होंने बताया कि किताब पढ़ने में दो साल लग गए क्योंकि वह संस्कृत में थी। लेकिन जैसे-जैसे किताब पढ़ती गई पूरी सोच ही बदलती गई। हर रविवार चर्च जाने वाली एंजेला के मन में सनातन के लिए जिज्ञासा बढ़ने लगी।

दोस्तों की मदद से उन्होंने परमहंस योगानंद और जी. कृष्णमूर्ति को भी पढ़ना शुरू किया। यह सब करीब तीन साल तक चलता रहा। इस दौरान कई किताबें उन्होंने खंगाल डालीं। वर्ष 1994 में पहली बार टूरिस्ट वीजा पर भारत आईं। दोस्तों के साथ कश्मीर और उत्तराखंड के साथ ही काशी और आगरा की भी यात्रा की। तब वह 24 वर्ष की थीं। ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करते हुए वह नागेश्वर भी गईं, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि उनकी राशि के मुताबिक यह ज्योतिर्लिंग है।

ऐसे ही सनातन में रुचि रखने वाली और भगवान शिव की भक्त एक फ्रांसीसी महिला कुम्भ मेले में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंची हैं। महिला का नाम पास्कल है। पास्कल का कहना है कि मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। मैं कुम्भ मेले की कहानी जानती हूं। यह आत्मा को शुद्ध करने वाला एक पवित्र स्थान है। मुझे बहुत सारे योगियों, साधुओं और हिन्दू लोगों से भी मिलने का मौका मिलता है। मैं हिन्दू धर्म में रुचि रखती हूं और शिव में आस्था है।

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