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वागड़ अंचल में ट्राइबल पार्टी का वामपंथी चरित्र

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जयपुर. राजस्थान के वागड़ अंचल में वनवासी समाज को भ्रमित कर राजनीति करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) का वामपंथी चरित्र उजागर हो गया है. बीटीपी के कारनामे का पूरे उदयपुर संभाग सहित जनजाति समाज में प्रबल विरोध हो रहा है. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन दिए जा रहे हैं, लेकिन स्वयं को ट्राइबल हितेषी बताकर राजनीति करने वाली बीटीपी ने स्पष्टीकरण देने की बजाय चुप्पी साध ली है.

दरअसल, भारतीय ट्राइबल पार्टी के ३०-४० कार्यकर्ताओं ने उदयपुर जिले के सलूम्बर क्षेत्र स्थित सोनार माता मंदिर पर लगे केसरिया ध्वजा को हटाकर बीटीपी का झंडा लगा दिया. इस दौरान वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने इसका विरोध किया तो उन्हें डराया-धमकाया तथा पुजारी देवीलाल मीणा के साथ बेरहमी से मारपीट की गई. इससे पूर्व भी बीटीपी कार्यकर्ताओं द्वारा वनवासी बंधुओं के धर्म स्थलों पर कई असामाजिक कृत्य किए जा चुके हैं.

सलूम्बर के सोनार माता मंदिर पर पिछले दिनों बीटीपी कार्यकर्ताओं ने धर्म ध्वजा हटाकर पार्टी झण्डा लगा दिया तथा पुजारी के साथ मारपीट की. इसके विरोध में संत, भगत, मेत-कोटवालों सहित समाज के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. सलूम्बर, कोटड़ा, गोगुंदा, मावली, खेरवाड़ा, सीमलवाड़ा, आसपुर, साबला, दोवड़ा, हथाई के साथ ही उदयपुर संभाग में अनेकों स्थानों पर बीटीपी के वनवासी विरोधी कृत्य का पुरजोर विरोध किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बीटीपी के लोग जनजाति क्षेत्र में पुरातन संस्कृति व धर्म पर प्रहार कर समाज में अलगाव की स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं. समाज को मुख्यधारा से भटका कर अशांति का माहौल बनाने का षड्यंत्र हो रहा है. इससे पहले भी इनके द्वारा नंदिनी माता मंदिर पर लगा ध्वज फाड़ना तथा लाल सलाम बोलकर झण्डा लगाना, बड़ोदिया के करजी गांव स्थित हनुमान मंदिर से ध्वज उतारना, तलवाड़ा कस्बे के मंदिर से मूर्तिया चोरी होने सहित कई कृत्य किए जा चुके हैं. बीटीपी के इन हिन्दू विरोधी कृत्यों के पीछे मुस्लिम कट्टरपंथियों व वामपंथियों का भी हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में बीटीपी के कृत्य के खिलाफ समूचे वनवासी अंचल में आक्रोश देखने को मिल रहा है.

जनजाति समाज के उत्थान की गतिविधियों से जुड़े नारायण लाल ने बताया कि समाज के गुरु व महापुरुषों पर आए दिन बीटीपी द्वारा कुछ ना कुछ अनर्गल बातें कहना, समाज की संस्कृति में रचे-बसे साधारण बोलचाल जय गुरुदेव, जय सियाराम, जय श्रीराम व राम-राम आदि शब्दों को छोड़कर जय जोहार शब्द जबरदस्ती एक ही समाज के लोगों को बोलने पर जोर दिया जा रहा है. इससे स्पष्ट है कि बीटीपी द्वारा जेहादी व वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर वनवासी समाज के अस्तित्व व गौरव को मुख्यधारा से अलग-थलग करने का प्रयास किया जा रहा है.

भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री अमृतलाल कलासुआ ने बताया कि सलूंबर में सोनार माता मंदिर पर धर्म ध्वजा उतारकर बीटीपी का झंडा फहराने सहित कई घटनाएं बीटीपी विचारधारा के उग्रवादी असामाजिक तत्वों तथा उनके सहयोगी संगठन द्वारा की जा रही हैं. जिससे जनजाति क्षेत्र में निवासरत धर्म प्रचारक संत मेट पोरवाल व आम समाजजन में भारी आक्रोश व असंतोष व्याप्त है. इन सब बातों को देखकर संत सुरमल दास, संत मावजी महाराज, गोविंद गुरु, मामा बालेश्वर के अनुयायियों ने मिलकर इन लोगों को जवाब देने के लिए संगठित आए हैं, जिससे समाज की संस्कृति को तोड़ने वालों को रोकने के प्रयास किए जाएं ताकि क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनी रहे.

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