यह पवित्र स्थान श्रीनगर से लेह आने वाली सड़क पर लेह से 25 किमी पीछे बना हुआ है. श्री गुरू नानक देव जी अपनी दूसरी यात्रा के दौरान (1515-1518 ई) 1517 ई. में यहां पहुंचे. सुमेर पर्वत पर अपना उपदेश देने के बाद गुरू नानक देव जी नेपाल, सिक्कम, तिब्बत और लेह होते हुए इस स्थान पर पहुंचे.
सामने वाली पहाड़ी के ऊपर एक घोर पापी दानव रहता था जो यहां के लोगों को बहुत दुःखी करता था और मार कर खा जाता था. गुरू जी दुःखियों की पुकार सुन कर इस स्थान पर पहुंचे और नीचे नदी के किनारे गुरू जी ने अपना आसन लगाया. यहां लोगों ने गुरू जी को देखकर राहत की सांस ली. परंतु दानव यह देखकर बहुत नाराज हुआ और उसने गुरू जी को जान से मारने की योजना बनाई.
एक दिन जब गुरू जी समाधि में परमात्मा की भक्ति में लीन थे, तब राक्षस ने मौका देखकर एक बहुत बड़े पत्थर को गुरू जी की ओर गिरा दिया, ताकि गुरू जी नीचे दबकर खत्म हो जाएं. परंतु, तब एक अनोखी घटना घटी जैसे ही बड़े पत्थर से गुरूजी का स्पर्श हुआ, वह पत्थर मोम की तरह बन गया. जिससे गुरू जी के शरीर का पिछला हिस्सा पत्थर में धंस गया, लेकिन गुरू जी की भक्ति में कोई असर नहीं पड़ा. गुरू जी को मरा हुआ जानकर दानव बहुत खुश हुआ और नीचे पत्थर के पास आ गया. गुरू जी को बिल्कुल ठीक देखकर दानव हैरान हो गया और गुस्से में आकर उसने अपना दाहिना पांव पत्थर पे मारा, परंतु राक्षस का पांव भी पत्थर में धंस गया. तब उस राक्षस को ज्ञान हुआ कि उसने अपनी बेवकूफी से एक भगवान के भक्त को मारने की कोशिश की है. अपनी गलती को लेकर माफी मांगने के लिए दानव गुरू जी के चरणों में गिर पड़ा.
गुरू जी ने अपनी आंखें खोली और उपदेश दिया कि अपना बाकी जीवन लोगों की सेवा करने में गुजारो, तब तुम्हारा कल्याण होगा. उस राक्षस ने गुरूजी का उपदेश माना और सुखी जीवन बिताने लगा. कुछ समय बाद गुरू जी इस स्थान से कारगिल होते हुए कश्मीर चले गए.
श्रीनगर से लेह और मनाली से लेह, दोनों रूट भारी बर्फबारी के कारण हर साल नवंबर से मई तक बंद रहता है. जून से अक्तूबर तक खुला रहता है. हालांकि, हवाई मार्ग से किसी भी महीने लेह पहुंचा जा सकता है. सर्दियों में यहां का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा जाता है.
By Road – श्रीनगर-लेह रूट पर यह गुरुद्वारा पड़ता है. यह लेह से 25 किलोमीटर पहले है. श्रीनगर से टैक्सी, बस या पर्सनल कार से यहां पहुंचा जा सकता है. श्रीनगर से लेह की दूरी 415 किलोमीटर है.
By Air – यह 10,682 फीटर की ऊंचाई पर है. माउंटेन विंड्स की वजह से यहां सिर्फ सुबह के समय ही फ्लाइट टेकऑफ और लैंड करती है. दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर से यहां के लिए हर दिन नॉन स्टॉप फ्लाइट है.