करंट टॉपिक्स

साहित्य समाज और राष्ट्र का निर्माता – डॉ. विपिन चंद्र पाठक

Spread the love

जयपुर. अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान का त्रैवार्षिक अधिवेशन रोटरी भवन जयपुर में संपन्न हुआ. विशिष्ट अतिथि डॉ. विपिन चंद्र पाठक ने कहा कि साहित्य और साहित्यकार समाज राष्ट्र का निर्माता है. राष्ट्र एवं समाज में एक सकारात्मक वातावरण बनाकर राज्य को वैचारिक श्रेष्ठता के परम शिखर पर ले जाना साहित्यकार की परम भूमिका है.

संत रमणनाथ महाराज ने कहा कि साहित्यकार प्रताड़ित होता है और प्रताड़ना से ही कुंदन निकलता है. साहित्य निर्माण के लिए त्याग करना पड़ता है.

स्वागत भाषण देते हुए साहित्य परिषद के राजस्थान अध्यक्ष प्रोफेसर अन्नाराम शर्मा ने देश के संत महात्माओं की आदर्श शिक्षा का वर्णन किया. अधिवेशन में डॉ. बलवंत एस जानी ने कहा कि सभी साहित्यकारों को साहित्य के माध्यम से राष्ट्र कार्य करने को आतुर रहना चाहिए. आज संपूर्ण राष्ट्र में भारतीयता का वातावरण छा गया है.  हजारों-हजार विदेशी साहित्यकारों ने भारतीय संस्कृति व साहित्य से प्रेरित होकर साहित्य रचना की है क्योंकि साहित्य एक बहुत बड़ा अनुष्ठान है. प्रोफेसर नरेंद्र मिश्र ने कहा कि साहित्य कभी पलायन नहीं करता सदैव प्रतिरोध करता है. त्याग साहित्य का मूल धर्म है. अधिवेशन के दौरान साहित्य का प्रदेय विशेषांक का विमोचन भी किया गया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *