चेन्नई. सेवा भारती के खिलाफ दुष्प्रचार व मानहानि के मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक यूट्यूबर पर हर्जाना लगाया है और यूट्यूबर को ₹50 लाख सेवा भारती को राशि देने का निर्देश दिया है. 6 मार्च को पारित आदेश में, न्यायमूर्ति एन सतीश कुमार ने कहा कि कोई भी अपनी अभिव्यक्ति की संवैधानिक स्वतंत्रता का उपयोग दूसरों पर हमला करने या उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं कर सकता.
न्यायालय ने कहा कि “केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने, कोई दूसरों की गोपनीयता में दखल नहीं दे सकता, कानून यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया को दूसरों की प्रतिष्ठा खराब करने का लाइसेंस नहीं देता. इसलिए, जब निर्दोष व्यक्तियों को निशाना बनाकर ऐसे झूठे आरोप प्रसारित किए जाते हैं तो यह अदालत अपनी आँखें बंद नहीं कर सकती”.
इसलिए, न्यायालय ने सुरेंद्र उर्फ नाथिकन को 2020 कोरोना काल में दो ईसाई व्यक्तियों पी. जयराज और उनके बेटे बेनिक्स की हिरासत में मौत के मामले में सेवा भारती को जोड़ने वाले झूठे बयान को लेकर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया.
न्यायालय ने कहा कि – “आजकल प्रसारित बयानों का उपयोग लोगों को ब्लैक मेल करने के एक उपकरण के रूप में किया जाता है. इन चीजों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता. जब तक इसे प्रारंभिक चरण में हतोत्साहित नहीं किया जाता, इसका अंत नहीं होगा और प्रत्येक ब्लैक मेलर झूठी और अनावश्यक खबरें फैलाकर दूसरों को ब्लैकमेल करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकता है”.
न्यायालय ने यह आदेश सेवा भारती की याचिका पर पारित किया. सेवा भारती ने न्यायालय में याचिका दायर कर मानहानि का दावा किय़ा था और यूट्यूबर को सेवा भारती के खिलाफ कोई भी अपमानजनक बयान देने से रोकने के निर्देश देने की मांग की थी.
सेवा भारती ने न्यायालय में कहा कि भले ही उसका जयराज और बेनिक्स की मौत से कोई लेना-देना नहीं था और यह ज्ञात तथ्य था कि दोनों की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी. सुरेंद्र ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें झूठा दावा किया गया कि सेवा भारती “आरएसएस से संबंधित है” और वह “ईसाई समुदाय को खत्म करना” चाहते हैं.
न्यायालय ने कहा कि वीडियो की सामग्री मानहानिकारक और निराधार थी, इस कारण संस्था नुकसान का दावा करने की निश्चित रूप से हकदार है.
न्यायालय ने कहा कि “हालांकि मौद्रिक क्षति के संदर्भ में नुकसान की सही राशि का पता नहीं लगाया जा सकता. वादी को खराब रोशनी में चित्रित करते हुए आरोप लगाया गया कि उनका उद्देश्य केवल ईसाई समुदाय को समाप्त करना है. यह न केवल संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि संस्था की गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और इससे नुकसान भी होगा. इसलिए वादी निश्चित रूप से ₹50,00,000/- की राशि के लिए मौद्रिक मुआवजे का हकदार है जो प्रतिवादी को देना होगा”.