शिमला (विसंकें). कोरोना काल में मीडिया को मिलने वाले आर्थिक संसाधनों का भारी ह्रास हुआ है. मीडिया स्वयं को बचाने के लिए सरकार से मिलने वाले संसाधनों पर ही अधिक निर्भर है. पत्रकारों के लिए न तो मीडिया संस्थानों के मालिक और न ही सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा के लिए काम किया गया है. इससे पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रतिभाशाली लोगों की कमी होती जा रही है. आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती के अवसर पर विश्व संवाद केन्द्र शिमला द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार अरुण आनंद ने यह विचार व्यक्त किये. पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
उनका कहना था कि राष्ट्रीय स्तर की पत्रकारिता में भी कोरोना के कारण आर्थिक दबाव देखा जा रहा है. दिल्ली का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि विज्ञापन के कारण तथ्य और सत्य में अंतर देखने को मिला है. उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण राष्ट्रीय पत्रकारिता से लेकर क्षेत्रीय स्तर की पत्रकारिता में भारी परिवर्तन आया है. अब मीडिया संस्थानों की अपने संस्थानों को चलाने के लिए सरकारी तंत्र पर निर्भरता अधिक हो गयी है, जिस कारण उनकी व्यक्तिगत छवि को सही रखना बेहद मुश्किल हो गया है. उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में व्यवसायवाद के कारण आये पतन पर चिंता व्यक्त की. कोरोना काल में पत्रकारों की नौकरियों पर आये संकट का जिक्र करते हुए संस्थागत नियमन की आवश्यकता पर बल दिया.
उनका कहना था कि 1970 के दशक के बाद संपादक की भूमिका अखबारों में केवल सरकार और मीडिया समूहों के मालिकों को खुश करने तक ही सीमित रह गयी है. उन्होंने सामाजिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए पत्रकार जागरूकता पर बल दिया. उनका कहना था कि आज पत्रकारों को आर्थिक और सामाजिक स्तर के उत्थान के लिए विचारधाराओं के द्वंद्व से ऊपर उठकर एक समूह के रूप में खड़ा होना होगा. उन्होंने संस्थागत व्यवस्था के लिए सरकारी तंत्र के नियमन का विरोध करते हुए कहा कि सरकार के हस्तक्षेप से इसका व्यापक दुरूपयोग होगा और जनता के लिए आखिरी सहारा बन रहा यह लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी ध्वस्त हो जाएगा. पत्रकारों की समस्याओं के निवारण के लिए एक मंच के रूप मे विश्व संवाद केंद्र की भूमिका पिछले कई वर्षों से सराहनीय रही है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता दैनिक जागरण अखबार के राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रकाष भारद्वाज ने की. कार्यक्रम में विश्व संवाद केंद्र शिमला न्यास के उपाध्यक्ष यादवेंद्र चौहान ने सभी पत्रकारों का कार्यक्रम में जुड़ने के लिए धन्यवाद किया. इस बार प्रदेश में कोरोना बंदिशों के कारण नियत समय में पत्रकारों का चयन नहीं हो पाने के कारण पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम आगामी कुछ समय के लिए स्थगित किया गया है.