राष्ट्र सेविका समिति सूरतगढ़ द्वारा मणिकर्णिका शौर्य वाहन यात्रा निकाली गई. समिति की सेविकाएं एवं नगर की अन्य मातृशक्ति को जोड़ते हुए 19 नवंबर को सायं 4:15 बजे शक्ति वाहन यात्रा का आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में मातृशक्ति और बहनों ने भाग लिया.
महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव पर सिमरजीत जी ने कहा कि हमारा इतिहास सतत संघर्ष का इतिहास है. विदेशी आक्रांताओं के आगमन से लेकर अंग्रेजों तक अस्मिता और स्वाभिमान से कभी भी भारत जैसे सांस्कृतिक राष्ट्र ने समझौता नहीं किया. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान देने वाली महिलाओं का उल्लेख किया.
1857 के संग्राम का जिक्र करते हुए सिमरजीत जी ने महारानी लक्ष्मीबाई का उल्लेख किया एवं बताया कि स्वाधीनता का यह संग्राम केवल कुछ इन लोगों तक नहीं अथवा कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं था. समस्त जनभागीदारी ग्राम गिरि कंधों से लेकर अंग्रेजी छावनी तथा समाज के सभी वर्गों में सभी समूह में आर्थिक, शैक्षणिक, वैचारिक, पत्रकारिता, साहित्य जगत सहित भारत के स्वाधीनता के लिए भारत के बाहर से भी प्रभावी प्रयत्न किया.
450 की संख्या में उपस्थित मातृशक्ति ने केसरिया धारण करके वंदे मातरम्, भारत माता की जय के उद्घघोष के साथ श्री बिश्नोई मंदिर से प्रारम्भ होकर, शास्त्री चौक, गणेश मंदिर चौराहा, व शहर के मुख्य अन्य मार्गों से होकर श्री बिश्नोई मंदिर में ही संपन्न हुई.
शहरवासियों ने पुष्प वर्षा व जय घोष के साथ सेविकाओं का स्वागत कर उत्साहवर्धन किया.