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अपना घर भक्तिमय-शक्तिमय-आनंदमय बने

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वाराणसी – कुटुम्ब प्रबोधन बैठक में दो परिवारों के साक्षात्कार का कार्यक्रम सम्पन्न

काशी. डॉ. हरेंद्र राय जी के परिवार में 100 सदस्य हैं. श्रीमती संगीता तिवारी जी के प्रश्न का उत्तर देते समय डॉ. हरेंद्र जी ने बताया कि ईश्वर की असीम कृपा से हमारे पास सद्बुद्धि है, इसीलिए हमारा परिवार एक है. परिवार में बहु के आगमन पर मुखिया द्वारा गीता और रामायण भेंट देने की परंपरा है. इस संस्कार से धरती पर ही बैकुंठ जैसा अनुभव होता है. परिवार की बहू श्रीमती प्रीति ने कहा कि कई बार ऐसा लगता है कि बड़े कुटुम्ब में निजी स्वतंत्रता का हनन होता है. लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि आपसी समझ  से सबकी स्वतंत्रता बनी रहती है.

एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. हरेंद्र राय ने बताया कि एक अच्छे कुटुम्ब के लिए बंटवारा शब्द की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि जीवन क्षणभंगुर है और जो है वो सारे परिवार का ही है.

अनिल किंजवडेकर के परिवार से संवाद में यह ध्यान में आया कि हमारा घर किस प्रकार से देवालय, विद्यालय, सेवालय, आदरालय बन सकता है. उन्होंने अपने संस्मरण में बताया कि प्रतिदिन घर में प्रवेश करते ही परिवार के बुजुर्ग एक सच्ची, एक झूठी, एक नयी, एक पुरानी इन चार बिंदु पर संवाद करने के पश्चात ही आगे बढ़ने देते थे.

कुटुम्ब प्रबोधन बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने अपना घर भक्तिमय-शक्तिमय-आनंदमय बनाने के लिए विभिन्न आयु वर्ग के सदस्यों की भूमिका पर प्रकाश डाला.

बालक-बालिकाओं को अच्छी आदतें डालना, श्लोक-दोहे कंठस्थ कराने का प्रयास करना, किशोर-किशोरी को उचित-अनुचित का विवेक कुशल संवाद से स्पष्ट करना, युवक-युवतियों को व्यक्तित्व के विकास की ओर ध्यान रखना, नवदंपति को संयम, विश्वास और धैर्य विकसित करना, अनुभवी सद्गृहस्थों को स्वयं के आदर्श जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करना, बड़ी आयु वर्ग को मार्गदर्शक की भूमिका निभाना, मांगने पर ही सलाह देना इस बात की ओर ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने बैठक का समापन करते समय बताया कि कुटुम्ब मित्र कुटुम्ब प्रबोधन के सभी विषयों को सुनें, समझें, स्वीकारें और आचरण में लाकर समाज में कुटुम्ब व्यवस्था को मजबूती प्रदान करें.

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