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स्वावलंबन की ओर सार्थक पहल – मंदिर के कचरे से चढ़ावे के फूल चुनकर बन रही डस्ट, बनेगा प्राकृतिक गुलाल

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पटना. कर गुजरने की चाहत हो तो, क्या नहीं कर सकता इन्सान.! ऐसा ही कुछ कर दिखाया है 15 दिव्यांगों की टोली ने. दिव्यांगों की यह टोली लोगों को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दे रही है. यह टोली शहर के मंदिरों के कचरे से फूलों को चुनती है. उसे सुखाकर गुलाल बनाने के लिए इकठ्ठा करती है. यह टोली अब तक 10 टन सूखे फूलों का डस्ट इकठ्ठा कर चुकी है. टी-24, डिसेबिलिटी फाउंडेशन की इस टीम में पांच महिलाएं भी हैं. दोनों आंखों से देख पाने में अक्षम के साथ विविध तरह की दिव्यांगता वाले लोग इस टोली में शामिल हैं.

टोली के सदस्यों ने बताया कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजकर फूल चुनने निकल जाते हैं. फूलों की पंखुड़ियों को तोड़कर सुखाते हैं. इसके लिए नगर निगम के कैंपस का इस्तेमाल करते हैं. 10 टन सूखे फूलों का डस्ट इकट्ठा हो चुका है. इस डस्ट में स्टार्च और हल्दी मिलाकर प्राकृतिक गुलाल बनाएंगे. गुलाल बनाने का प्रशिक्षण मुंबई से लिया है. 2011 में ही इन लोगों ने प्रशिक्षम लिया था. इस काम का इन्हें तीन साल का अनुभव भी है.

फाउंडेशन के डायरेक्टर राजेंद्र बताते हैं – हम चाहते हैं कि लोग हमें दया की दृष्टि से नहीं देखें. हम भी कुछ कर सकते हैं. बस थोड़ी पूंजी की दरकार है, जिसके बाद स्वयं को साबित कर दिखाएंगे. ये 15 लोग अपने परिवार के साथ – कंकड़बाग टेम्पो स्टैंड के पास शिवाजी गोलंबर के इर्द-गिर्द रहते हैं. इनमें से कुछ के परिवार के लोग ई-रिक्शा चलाते हैं या मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं. उसी से उनकी रोजी-रोटी चलती है.

डायरेक्टर मंजू के अनुसार दिव्यांगों को स्वावलंबी बनाना उनका लक्ष्य है. वो चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनसे जुड़ें और इस काम को व्यापक ढंग से ज्यादा से ज्यादा बढ़ा सकें.

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