करंट टॉपिक्स

बड़ गांव – 82 वर्षीय बुजुर्ग की रामभक्ति के समक्ष नतमस्तक

Spread the love

मुझे नहीं पता मैं मंदिर देख पाउंगी या नहीं, पर दान अवश्य करूंगी

श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के निमित्त जनसंपर्क एवं निधि समर्पण अभियान के तहत जहां कार्यकर्ता नहीं पहुंच पा रहे हैं, उन परिवारों, क्षेत्रों से कार्यकर्ताओं को मीठा उलाहना भी सुनने को मिल रहा है कि क्या राम हमारे नहीं हैं? कई लोगों ने फोन करके या विनती कर कार्यकर्ताओं को घर बुलाकर निधि समर्पण किया. जनमानस की भावनाओं को देख अभियान में जुटे कार्यकर्ता अभिभूत हो रहे हैं.

ऐसा ही वाकया उदयपुर के बड़ गांव क्षेत्र में देखने को मिला. जहां कार्यकर्ता एक बुजुर्ग की आस्था के आगे नतमस्तक हो गए. 82 वर्षीय़ मोहन पुरी के पड़ोस में अभियान के अंतर्गत निधि समर्पण के संकल्प का आग्रह लेकर कुछ कार्यकर्ता पहुंचे थे. मोहन पुरी को जब यह जानकारी मिली तो वह काफी उत्साहित हुए. वह घर बैठे कार्यकर्ताओं के आने का इंतजार करते रहे. देर शाम तक इंतजार करने के बाद जब कार्यकर्ता उनके घर नहीं पहुंचे तो वह काफी निराश हो गए. अगले दिन उन्होंने स्वयं ही कार्यकर्ताओं को घर बुलाने की ठान ली. सुबह-सवेरे ही वह मुख्य सड़क पर खड़े हो गए और कार्यकर्ताओं का इंतजार करने लगे.

अभियान के तहत जब कार्यकर्ता निकले तो वह उत्साहित हो उठे. उन्होंने सोचा कि वह उनके घर की तरफ ही आ रहे हैं. लेकिन अचानक कार्यकर्ताओं को दूसरी दिशा में जाता देख वह निराश हो गए. उन्होंने बिना एक पल की देरी किए कार्यकर्ताओं को आवाज लगाई. आवाज सुनकर कार्यकर्ता उनके पास आए तो उन्होंने निराशा भरे स्वर में उनसे पूछा कि आप लोग हमारे यहां क्यों नहीं आ रहे? मैं कल पूरा दिन आपका इंतजार करता रहा. सभी कार्यकर्ता उनकी बात सुनकर भौंचक्के रह गए. इससे पहले कि वह कुछ कह पाते बुजुर्ग ने सड़क पर ही कपड़े के थैले से चैक बुक निकाली और एक लाख ग्यारह हजार का चेक प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए समर्पित कर कहा कि इसे अयोध्या पहुँचाने की जिम्मेदारी अब आपकी है. चेक देते समय बुजुर्ग की आंखों की चमक देख कार्यकर्ता भावुक हो उठे. उन्होंने बुजुर्ग के चरण स्पर्श कर उनकी भावना को प्रणाम किया. बुजुर्ग ने कहा – हमारी पीढ़ी को यह सौभाग्य मिला है कि हम अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य निर्माण होता देख पा रहे हैं. इस अवसर को गंवाया नहीं जा सकता. हमारे परिवार का भी श्रद्धा समर्पण प्रभु श्रीराम के चरणों तक पहुंचना ही चाहिए, भले ही वह कण मात्र ही क्यों  ना हो.

श्रीराम मंदिर के लिए हर कोई अपनी क्षमता से बढ़कर सहयोग कर रहा है. फिर चाहे कोई दिव्यांग हो, किन्नर समाज से हो, बुजुर्ग हो या अन्य. राजसमंद जिले के चार भुजा किन्नर सुशिला भुआ की उत्तराधिकारी ममता भुआ ठिकाना नाथा जी गुडा ने एक लाख 51 हजार रुपये का समर्पण किया और लोगों से मंदिर निर्माण के लिए अधिक से अधिक निधि सर्मपण करने की अपील की.

भरतपुर जिले के कुम्हेर के किन्नर समाज द्वारा अभियान समिति को एक लाख एक हजार की निधि समर्पित की.

वहीं, 2400 रुपये पेंशन पर गुजारा करने वाली बुजुर्ग महिला ने आग्रहपूर्वक कार्यकर्ताओं को इक्यावन हजार रुपये का समर्पण किया. निधि समर्पण में दिव्यांगजन भी  पीछे नहीं हैं. राजसमन्द जिले के देवगढ़ के दिव्यांग दंपत्ति जय प्रकाश पानेरी ने मंदिर निर्माण के लिए दस लाख एक सौ ग्यारह रुपये समर्पण किया. टोंक जिले में वाल्मीकि समाज के बंधुओं ने एक लाख 27 हजार 555 पच्चपन रुपये की निधि समर्पण की.

पुष्कर किन्नर समाज की सपना बाई ने 51,000 रुपए समर्पण कर किया आह्वान

श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु चलाए जा रहे निधि समर्पण महाभियान के तहत पुष्कर किन्नर समाज की सपना बाई ने 51,000 रुपए का चेक समर्पित किया. भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की दुआ एवं कामना के साथ अपनी खुशी प्रकट करते हुए सपना बाई ने कहा – “हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हम प्रभु राम के मंदिर निर्माण के साक्षी एवं भागीदार बन पा रहे हैं.” सपना बाई ने सभी लोगों से अपने सामर्थ्य अनुसार यथायोग्य निधि समर्पण का आग्रह एवं आह्वान भी किया.

मुझे नहीं पता मैं मंदिर देख पाउंगी या नहीं, पर दान अवश्य करूंगी

हिंगोली, कोकण. शहर के लोगों में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह है. समस्त भेदों को भुला लोग बढ़-चढ़ कर निधि समर्पण अभियान में भाग ले रहे हैं. कार्यकर्ता जब डॉ. तोषनीवाल के अस्पताल निधि संकलन के लिए गए तो सभी ने अपना सहयोग दिया.

कार्यकर्ता जब निधि संकलन कर रहे थे तो वहां पर सफाई का काम करने वाली कमला बाई ने भी उनकी चर्चा सुनी. उत्सुकतावश वह भी आगे आयी और बोली कि मुझे भी मंदिर निर्माण के लिए सहयोग करना है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को बहुत प्रसन्नता के साथ सहयोग राशि प्रदान की और जब रसीद प्राप्त की तो वह भावविभोर हो उठीं. उन्होंने कहा – मुझे नहीं पता कि मैं इस जन्म में वास्तविक मंदिर देख पाउंगी कि नहीं, लेकिन इस अभियान में सहयोग कर वह संतुष्ट हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *