रांची. 145 मामलों में अभियुक्त प्रतिबंधित नक्सली संठन भाकपा-माओवादी के रीजनल कमेटी के सदस्य इंदल गंझू ने वीरवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. बिहार-झारखंड पुलिस इंदल गंझू को तलाश कर रही थी. उस पर 15 लाख का इनाम घोषित था. रांची में वीरवार को पुलिस के समक्ष सरेंडर करने के बाद इंदल गंझू ने बताया कि जमीन विवाद के कारण वह नक्सली संगठन में शामिल हुआ था. नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी में करीब 20 सालों तक रहने के दौरान बिहार-झारखंड के सीमावर्ती इलाके में दबदबा कायम हो गया.
इंदल गंझू मूल रूप से बिहार के गया जिले के इमामगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत असरैन गांव का रहने वाला है. इंदल के रिश्तेदारों ने उसकी जमीन हड़प ली थी, जिसके बाद वह 2003 में नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी में शामिल हो गया. नक्सली संगठन में शामिल होकर वह अपनी जमीन पर कब्जा वापस पाना चाहता था, इसमें उसे सफलता भी मिल गई. लेकिन धीरे-धीरे माओवाद के दलदल में फंसता चला गया.
रिपोर्ट्स के अनुसार, भाकपा-माओवादी के बिहार रिजनल कमेटी मध्य जोन के संदीप यादव की मौत के बाद संगठन विस्तार और नीति निर्धारण में उसका महत्वपूर्ण योगदान रहा. झारखंड पुलिस ने 15 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था. इंदल के खिलाफ चतरा में 45, पलामू जिले में एक, हजारीबाग में पांच, गया में 78 और औरंगाबाद में 13 मामले दर्ज हैं.
आईजी एवी होमकर, सीआरपीएफ के आईजी विधि कुमार विर्धी और हजारीबाग के डीआईजी एनके सिंह समक्ष इंदल ने सरेंडर किया. आईजी एवी होमकार ने बताया कि झारखंड को नक्सल मुक्त राज्य बनाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है. पिछले वर्ष 2022 में तीन मुठभेड़ हुए, जबकि वर्ष 2023 में 4 महीनों के अंदर चार बार मुठभेड़ हुए हैं. जनवरी में हुए मुठभेड़ में भाकपा माओवादी दस्ते का सदस्य राजेश बैगा मारा गया था. अप्रैल में हुए मुठभेड़ में पुलिस बल को बड़ी सफलता मिली. इस मुठभेड़ में पांच माओवादियों को मार गिराया गया था.