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निधि समर्पण – इदं न मम्

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#श्रीमाधोपुर

श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण निधि समर्पण महाअभियान में #अजीतगढ़ खंड के आसपुरा गांव में इदं न मम् की पंक्ति को चरितार्थ करता #अद्भुत_समर्पण देखने को मिला.

गांव में मिट्टी को रौंदकर घड़े बनाने वाला अत्यंत सामान्य कुम्हार परिवार रहता है…टीनशेड मय दो कच्चे घर.

अजीतगढ़ खंड संयोजक पवन हरितवाल के साथ अन्य कार्यकर्ता राजू जी कुमावत के घर निधि समर्पण के निमित्त संपर्क के लिए गए, कार्यकर्ताओं ने उनसे श्रीराम मंदिर निर्माण व निधि समर्पण अभियान की चर्चा की तो उन्होंने सहज भाव से 5100 रुपये की निधि समर्पित की, जो टोली में शामिल कार्यकर्ताओं की कल्पना व अपेक्षा से कहीं अधिक था.

श्रीराम मंदिर के लिए समर्पण करते समय माता जी के चेहरे पर एक अलग ही सुकून झलक रहा था. जो निश्चित ही हम सभी के लिए आश्चर्य और श्रीराम के प्रति आस्था को दर्शाने वाला क्षण था.

उनका पुत्र मुंबई में श्रमिक के रूप में कार्य कर अर्थोपार्जन कर रहा है तथा यहां 1 पोता व 6 पोतियां रहती हैं. निधि समर्पण के पश्चात माता जी ने अपने हाथ से चाय बनाकर कार्यकर्ताओं को पिलाई.

निधि समर्पण महाअभियान का एक भावुक अनुभव

अलवर, राजस्थान

निधि समर्पण अभियान के निमित्त #भिवाड़ी प्रवास पर था. स्थानीय कार्यकर्ताओं से चर्चा की और तय हुआ कि बाबा मोहनराम मंदिर के बाहर कुछ भिखारी बैठते हैं, उनके पास जाकर श्रीराम मंदिर निधि समर्पण की चर्चा करेंगे.

कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे और श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर विषय रखा तो एक माता जी ने अपने कटोरे में से 10 सिक्के निकाल कर मेरे हाथों पर रख दिए, फिर क्या था एक-एक कर सभी भिखारियों ने समर्पण करना प्रारंभ कर दिया.

एक माता जी तो अड़ गई कि मैं तो इक्कीस रुपये दूंगी, बहुत समझाया 10 या 20 रुपये ही दो, लेकिन नहीं, अंत में हमें ही मानना पड़ा.

उस स्थान से करीब 200 मीटर की दूरी पर गौशाला है, हम सभी कार्यकर्ता वहां आकर बैठ गए.

थोड़ी ही देर में सीताराम नेपाली नाम का एक दिव्यांग भिखारी हमें ढूंढता हुआ गौशाला में पहुंचा, उसका दाहिना हाथ नहीं था. हमारे पास आकर कहा कि बाबुजी आप आए, तब मैं वहां नहीं था.. मेरी तरफ से भी श्रीराम मंदिर में ईंट लगनी चाहिए और उसने अपनी समर्पण निधि भेंट की.

निधि समर्पण अभियान में जुटे कार्यकर्ता

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